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महिलाओं का सर्वांगीण विकास करने वाला SPMESM का तेजस्विनी प्रकल्प

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मुंबई. आम्रपाली मगरे के पति का अकाल देहान्त हो गया. अब परिवार को संभालने के लिए कुछ न कुछ करना, पैसा कमाना आवश्यक था. नौकरी करने के लिए शिक्षा तो पर्याप्त नहीं थी. कैटरिंग और फ़ूड प्रोसेसिंग का कोर्स करने के बाद अब आम्रपाली एक मेस चलाती है और १२ हजार रुपये प्रति माह कमा लेती है. ऐसी ही कहानी है, मोहिनी जाधव की. शराबी पति बहुत मारपीट करता था. हाथ में पैसे नहीं थे. मोहिनी ने ब्यूटी-पार्लर का कोर्स किया और तुरंत, उसे नजदीक के एक पार्लर में नौकरी भी मिल गयी. आज मोहिनी पांच हजार रुपये वेतन पर काम कर रही है. छोटी उम्र में शादी करने के बाद घरेलु हिंसाचार के कारण तलाक ले चुकी ज्योतिका को अपने मातापिता पर बोझ होने का दुःख था. उसने भी ब्यूटीपार्लर का कोर्स किया और अब अपना पेट भर सकती है. ये कुछ अच्छे उदाहरण हैं – महिला स्वावलंबन अर्थात् वीमन एम्पावरमेंट के.

ये बिलकुल सच है कि घर की बेटियां पढ़-लिखकर सक्षम हो जाएं तो पूरा घर सक्षम हो जाता है. स्त्री अगर पढ़े, अपना मार्ग तय करे और मन में आत्मविश्वास लेकर उस मार्ग पर चले तो वह एक परिवार को सक्षम कर सकती है, उसे सुसंस्कृत कर सकती है. कई लड़कियों को बचपन से ही शिक्षा, स्वास्थ्य की सारी सुविधाएं प्राप्त होती हैं. लेकिन गांवों में आज भी महिलाओं को दोयम स्थान दिया जाता है. शासन की अनेक योजनाओं के बावजूद भी अनेक लड़कियां शिक्षा से वंचित रह जाती हैं. ऐसी लड़कियों, महिलाओं के लिए अनेक संस्थाएं सशक्तिकरण के लिए प्रयास कर रहीं है.

औरंगाबाद के सावित्रीबाई फुले महिला एकात्म समाज मंडल SPMESM द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उन्नति के लिए अलग-अलग स्तरों पर प्रयास किये जाते हैं. प्रकल्प को तेजस्विनी नाम दिया गया है. औरंगाबाद की सेवा बस्तियों में रहने वाली १० हजार महिलाओं के लिए चलाए जाने वाले प्रकल्प की रचना नारीशक्ति की आर्थिक, स्वास्थ्य विषयक एवं सामाजिक उन्नति को सामने रखकर की गयी है. कौशल विकास, कृषि विकास, स्वास्थ्य चिकित्सा व सलाह, समुपदेशन, नवदम्पति समुपदेशन, नेतृत्व विकास प्रशिक्षण, सेल्फ हेल्प ग्रुप, ऐसे अनेकों स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर प्रयास चल रहे हैं.

मानसिक स्वास्थ्य जागृति, एनीमिया जागृति, नवदम्पति का सर्वेक्षण, उनका सम्मेलन, कौशल प्रशिक्षण अंतर्गत स्किल डिवलपमेंट के अलग-अलग कोर्स जैसे – केटरिंग, ब्यूटीपार्लर, टेलरिंग आदि, कृषि अंतर्गत – किचन गार्डनिंग, सीड बॉल मेकिंग, कृषि उत्पादों के लिए बचत बाजार, कृषि कन्या ट्रेनिंग – जिसमें लड़कियां स्वयं प्रशिक्षित होकर अन्य महिला किसानों को प्रशिक्षित करेंगी, सेल्फ हेल्प ग्रुप – जिसकी सहायता से महिलाएं आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हो सकती हैं, ऐसे अनेक प्रयास SPMESM द्वारा किये जा रहे हैं.

नवदम्पति शुभेच्छा सम्मेलन SPMESM का एक प्रसिद्ध प्रकल्प है. शादी के पश्चात सेवा बस्ती की महिलाओं में प्रजनन और पारिवारिक स्वास्थ्य के बारे में जागृति की दृष्टि से संस्था द्वारा नवदम्पति सम्मेलन का आयोजन किया जाने लगा. कार्यक्रम को बस्ती से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. पति पत्नी के साथ ही सास को भी बुलाया जाता है. समुपदेशन, प्रश्नोत्तर सत्र, सांस्कृतिक वातावरण के कारण कार्यक्रम सब को पसंद आता है. सेवा बस्तियों में अनेकों महिलाओं को अपने एनीमिया ग्रस्त होने की जानकारी ही नहीं होती. ऐसी एनीमिया ग्रस्त महिलाओं की सूची SPMESM द्वारा बनाई गई तथा उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रयास किये गए. जिन महिलाओं का हीमोग्लोबिन ७-८ हुआ करता था, उनका हीमोग्लोबिन चार पांच महीनों में ११ तक बढ़ गया.

SPMESM के यह प्रयास महिलाओं की सर्वांगीण उन्नति का विचार कर हैं. १५० गांव, ३८ नगरी उपेक्षित बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को लाभ मिल रहा है. ऐसे प्रकल्प अगर सभी जगह होने लगे तो ग्रामीण स्तर पर महिलाएं पीछे नहीं रहेंगी. बल्कि अपने साथ पूरे परिवार को उन्नति के मार्ग ले जाएंगी.

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