श्रीनगर. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35A के निष्प्रभावी होने के पश्चात घाटी में विकासकार्य तेज गति से हो रहा है. 90 के दशक का आतंकवाद का भयावह दौर भी समाप्त होता नजर आ रहा है व परिवर्तन आ रहा है. इसका एक उदाहरण, श्रीनगर के डाउन टाउन में 80-90 के दशक में कभी आतंकवाद के डर से बंद हुआ स्कूल अब पुनः खोल दिया है.
दरअसल, 33 वर्ष पहले कश्मीर घाटी में आतंकवाद के दौर में आर्य समाज ट्रस्ट का सबसे पुराना स्कूल अलगाववाद पनपने की वजह से बंद हो गया था. आतंकवाद के दौर में स्थानीय लोग अपनी जान बचाकर घाटी से पलायन करने को मजबूर हो गए. इसके चलते स्कूल में पढ़ने वाले और पढ़ाने वाले लोग जम्मू संभाग सहित देश के अन्य हिस्सों में पलायन कर गए, जिससे इस स्कूल को बंद करना पड़ा था. लेकिन अब स्थिति में सुधार हुआ है तो आर्य समाज ने एक बार फिर अपने सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थान DAV पब्लिक स्कूल को पुनः खोल दिया है. यह स्कूल श्रीनगर के डाउन टाउन स्थित महाराजगंज क्षेत्र में है और अब यहाँ 33 वर्षों बाद एक बार फिर से छात्र-छात्राओं की हलचल शुरू हो गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीएवी स्कूल की प्रिंसिपल और प्रबंधक समीना जावेद ने बताया कि संस्था को उसी जगह पर, उसी इमारत के अंदर, उसी प्रबंधन के तहत फिर से खोल दिया गया है. यह स्कूल जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से संबद्ध है और जोनल एजुकेशन ऑफिसर (ZEO) रैनावारी के अधिकार क्षेत्र में आता है. जम्मू कश्मीर आर्य समाज के मुखिया अरुण चौधरी ने बताया कि 90 के दशक में जब यह स्कूल बंद हुआ तो उसके महज 1 साल के बाद यहाँ के एक स्थानीय व्यक्ति ने स्कूल पर कब्ज़ा कर लिया था. इस बीच अनेक सरकारें आई और गईं, हमने उनके सामने गुहार लगाईं पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
अरुण चौधरी ने कहा कि हमारे लिए स्कूल का कब्ज़ा खाली करवाना सबसे बड़ी चुनौती थी. इसके अलावा यहाँ के स्थानीय लोग भी हमारे पीछे पड़े हुए थे कि स्कूल को पुनः खोल दिया जाए, लेकिन यह दशकों तक संभव नहीं हो सका. 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद एक आस जगी और हमने अपनी बात प्रदेश के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा तक पहुंचाई. उप-राज्यपाल ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए पूर्ण सहायता प्रदान की और हमें हमारा यह स्कूल वापस मिल गया.
दरअसल, डाउन टाउन के सराफ कदल इलाके में ये स्कूल 1980 के दशक में सबसे बड़ा स्कूल माना जाता था. लेकिन 1990 में स्कूल के बंद होने के बाद 1992 में यहां के कुछ व्यक्तियों ने भवन पर कब्ज़ा किया और इसका नाम आर्य समाज से बदलकर नक्शबंद पब्लिक स्कूल रखा. पिछले 33 वर्षों से ये स्कूल नक्शबंद स्कूल के नाम से चल रहा था. साल 2022 में आर्य समाज ट्रस्ट ने नक्शबंद पब्लिक स्कूल के मालिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई और फिर स्थानीय समर्थन से कानूनी लड़ाई लड़कर स्कूल को वापस हासिल किया.