नई दिल्ली. ISRO ने अपना सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D2 सफलतापूर्वक लॉन्च किया. स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (SSLV) की लॉन्चिंग शुक्रवार सुबह 9:18 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से हुई. SSLV-D2 तीन सैटेलाइट्स लॉन्च करने में सफल रहा. SSLV को लॉन्च करने का दूसरा प्रयास था.
SSLV ने जो 3 सैटेलाइट्स लॉन्च किए, उनमें अमेरिका जानूस-1, चैन्नई के स्पेस स्टार्ट अप का आजादी सैट-2 और इसरो का EOS-7 शामिल है. SSLV-D2 ने पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में 15 मिनट तक उड़ान भरी, इसके बाद सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में छोड़ दिए.
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने SSLV-D2 की सफल लॉन्चिंग के बाद कहा कि, “अब हमारे पास एक नया लॉन्च व्हीकल है. SSLV-D2 ने दूसरी कोशिश में सैटेलाइट्स को एकदम सही तरह से ऑर्बिट में छोड़ दिया है. तीनों सैटेलाइट टीमों को बधाई.”
SSLV को डेवलप करने का मकसद छोटे सैटेलाइट लॉन्च करना है. इसके साथ ही पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का इस्तेमाल अब तक लॉन्चिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है. SSLV के चलते अब यह बड़े मिशन के लिए फ्री हो सकेगा. SSLV 10 से 500 किलोग्राम के ऑब्जेक्ट को 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जा सकता है.
EOS-07 एक 156.3 किलो का सैटेलाइट है, जिसे इसरो ने डिजाइन और डेवलप किया है. नए एक्सपेरिमेंट में एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर और स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड शामिल हैं. जबकि, जानूस-1 एक 10.2 किलोग्राम का उपग्रह है. 8.7 किलो का आजादी सैट-2 स्पेस किड्ज इंडिया चैन्नई के डायरेक्शन में देश भर की लगभग 750 छात्राओं ने बनाया था.
आज़ादी सैट नामक उपग्रह के लिए स्पेस किड्ज इंडिया ने देशभर के 75 सरकारी स्कूलों की 10-10 छात्राओं का चयन किया था. परियोजना को नीति आयोग का भी समर्थन प्राप्त हुआ. सैटेलाइट देश भर के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं द्वारा बनाया गया था. आठ किलो वजनी इस उपग्रह में 75 फेमटो एक्सपरिमेंट, सेल्फी कैमरे हैं जो अपने सौर पैनलों और लंबी दूरी के संचार ट्रांसपोंडर की तस्वीरें क्लिक करेंगे.