नासिक। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम क्षेत्र के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख अनिल जोशी ने कहा कि संघ की शताब्दी यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया है कि सामाजिक संगठन और सामाजिक परिवर्तन एक प्रभावी मॉडल है।
पश्चिम क्षेत्र के कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम का प्रकट समारोह 31 मई को विद्या प्रबोधिनी स्कूल प्रांगण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर आर्मस्ट्रांग कंपनी के कार्यकारी निदेशक प्रणव माजगांवकर और वर्ग के सर्वाधिकारी विष्णुजी वझे मंच पर उपस्थित रहे।
अनिल जोशी ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा स्वयंसेवकों और उनके परिवारों के समर्पित जीवन और योगदान के कारण सफल रही है। समाज में पूज्य संतों और महान शक्तियों का आशीर्वाद और समर्थन संघ कार्य की शक्ति है। संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार दूरदर्शी थे। संघ के उद्देश्य और उसे प्राप्त करने की योजना के बारे में उनमें स्पष्टता थी। अपने जीवन को पूर्ण करने से पहले, उन्होंने अपने अनुयायियों को भविष्य को देखने और उसे समझने की दृष्टि प्रदान की।
संघ शताब्दी मनाने की कोई योजना नहीं है। हालाँकि, संघ के कार्य को अधिक प्रभावी और सार्थक बनाने और इसे और मजबूत करने के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में सोचा गया है। शताब्दी के अवसर पर, संघ ने दो प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए हैं। शाखाओं की संख्या को एक लाख तक बढ़ाना और पंच परिवर्तन के विचार को लागू करना ताकि परम वैभव का मार्ग प्रशस्त हो सके। पंच परिवर्तन का यह कार्य संघ की विचारधारा का एक मूल तत्व है। राष्ट्र के परम वैभव को प्राप्त करने की दिशा में संघ की यात्रा व्यक्तिगत विकास, व्यवस्था परिवर्तन और सामाजिक परिवर्तन के मार्ग से धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। शताब्दी वर्ष के लिए सामाजिक परिवर्तन के पांच विषय चुने गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से संस्कारक्षम परिवार, सामाजिक समरसता, पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी जीवनशैली का पालन शामिल है।
प्रणव माजगांवकर ने कहा कि यदि उद्देश्य पवित्र हो तो विकास का मार्ग आसान हो जाता है। इसी मंत्र के साथ संघ ने राष्ट्र को महान बनाने का काम किया है। प्रारंभ में प्रशिक्षु स्वयंसेवकों ने अनुशासित तरीके से शारीरिक प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किए।