करंट टॉपिक्स

सुकमा – 8-8 लाख के ईनामी दो नक्सलियों सहित 18 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष किया आत्मसमर्पण

Spread the love

रायपुर, छत्तीसगढ़।

नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। नक्सलियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन में सक्रिय चार नक्सलियों सहित कुल 18 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें से दो नक्सलियों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण सुकमा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) किरण चव्हाण, सीआरपीएफ रेंज सुक सीआरपीएफ की 80, 212, 219वीं व कोबरा 203 बटालियन के अधिकारियों के समक्ष हुआ।

सुकमा जिले में 18 नक्सलियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में PLGA बटालियन के चार सक्रिय सदस्य शामिल हैं, जो नक्सलियों की सशस्त्र शाखा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। इनमें से दो नक्सलियों, जिनके नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण सुकमा जिले के पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त पहल का परिणाम है।

सुकमा के एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जो लंबे समय से नक्सल गतिविधियों में संलिप्त थे और कई हमलों में उनकी भूमिका रही है। उन्होंने कहा, “यह आत्मसमर्पण नक्सलियों के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ी जीत है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटें”।

यह छत्तीसगढ़ सरकार की “नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत योजना” का हिस्सा है, जिसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। योजना के तहत, ग्राम पंचायतों को नक्सल मुक्त करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और आर्थिक सहायता दी जाती है।

योजना के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि, कपड़े, और अन्य सहायता प्रदान की गई। इसके अलावा, जो गाँव नक्सल मुक्त घोषित किए जाते हैं, उन्हें विकास के लिए एक करोड़ रुपये की राशि दी जाती है।

यह आत्मसमर्पण सुकमा जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सुकमा जिला लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का गढ़ रहा है, और यहाँ पर कई बड़े हमले हुए हैं। हाल के दिनों में, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज़ हुआ है।

आत्मसमर्पण से न केवल नक्सलियों की ताकत कम होगी, बल्कि यह स्थानीय समुदाय में विश्वास भी पैदा करेगा कि वे हिंसा के बिना भी बेहतर जीवन जी सकते हैं। सुकमा के एक ग्रामीण, ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अब हमारे गाँव में शांति आएगी। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे स्कूल जाएँ और हमें विकास का मौका मिले”।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने में अभी समय लगेगा। सरकार ने मार्च 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसे पूरा करने में कई चुनौतियाँ हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं, जैसे स्कूल, अस्पताल, और सड़कों की कमी है, जिसका फायदा नक्सली उठाते हैं। इसके अलावा, कुछ नक्सली समूह अभी भी सक्रिय हैं और वे स्थानीय लोगों को डराने-धमकाने का काम करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *