विश्व हिन्दू परिषद् व बजरंग दल का नाम आते ही सबसे पहले क्या स्मृति हमारे मष्तिष्क में आती है? मीडिया द्वारा विहिप व उसके आयाम बजरंग दल को इस प्रकार बदनाम किया गया है कि कहीं पर दंगा-फसाद या हिन्दू-मुस्लिम दंगा, लव जिहाद, धर्मान्तरण का विवाद हो या वैलेंटाइन-डे पर प्रेमी युगलों को परेशान करना ही बजरंग दल का काम है.
बजरंग दल गौ हत्या, बेटी बचाओ अभियानों में अवश्य शामिल रहता है जो उनके निर्दिष्ट कार्य क्षेत्र में आता है. परन्तु यहाँ हम आपको बजरंग दल व विहिप का वह चेहरा दिखाने जा रहे हैं, जिसमें यह संगठन सदैव अग्रणी रहते हैं. मीडिया को इसमें मसाला नहीं मिलता, इसलिए यह किसी पत्र-पत्रिका या टीवी में नहीं दिखाया जाता. यदि उनका यह रूप जनता के सामने आ जाए तो फिर ख़बरों में सनसनी नहीं रह जाएगी जो विहिप और बजरंग दल के साथ उन्होंने जोड़ रखी हैं.
महामारी अपने चरम पर है, प्रतिदिन देश में दो लाख से भी अधिक लोग कोरोना वायरस के नए रूप की चपेट में आ रहे हैं, पिछले पंद्रह दिन में हजारों ने अपना जीवन खोया है, स्थितियां यह हैं कि दवाइयों से लेकर ऑक्सीजन तक, अस्पताल के बेड से लेकर वेंटीलेटर तक, कोरोना की जांच के साधन RTPCR टेस्ट तक में लम्बी कतारें लग गयी हैं.
सरकारी और प्राइवेट अस्पताल चौबीस घंटे काम कर रहे हैं, फिर भी अस्पतालों के गलियारों में मरीजों को लेटे देखा जा सकता है. इन अस्पतालों के डॉक्टर व कर्मचारी चौबीसों घंटे बिना सांस लिए मरीजों की देखभाल कर रहे हैं व उनके गुस्से का शिकार भी बन रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की संख्या सीमित होने से नर्सिंग स्टाफ को अधिक काम करना पड़ रहा है, जिसका असर सेवाओं में दिखाई दे रहा है. ऐसे में समस्या को हल करने के लिए बजरंग दल के कार्यकर्ता सहयोग कर रहे हैं. सिविल अस्पताल प्रशासन से चर्चा कर 50 स्वयंसेवकों ने (दो पाली में) मरीजों की देखरेख व उनके खाने पीने, बाथरूम ले जाने व अन्य देखरेख का कार्य हाथ में लिया. इससे अस्पताल के 50 प्रशिक्षित कर्मचारी जो कोविड केयर में डॉक्टरों का साथ देने के लिए मुक्त हो गए, इस प्रकार 15 दिनों से बजरंग दल के कार्यकर्ता अस्पताल प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं.
निःशुल्क काढ़ा वितरण का कार्य भी निरंतर जारी है, प्रतिदिन लगभग एक हजार लोगों को काढ़ा वितरित किया जा रहा है. बजरंग दल अंतिम संस्कार की व्यवस्था के अंतर्गत भी कार्य कर रहा है. जहाँ सिविल अस्पताल में गुजर गए व्यक्ति (जिनके परिवार से कोई नहीं है, या आना नहीं चाहता) का दाह संस्कार करते हैं, इस कार्य में 5 स्वयंसेवकों के साथ एक शव वाहिनी चौबीस घंटे सेवा में रहती है व प्रतिदिन 3-5 दाह संस्कार बजरंग दाल द्वारा किये जा रहे हैं. कार्यकर्ता यह सेवा कार्य कर रहे हैं, जबकि अन्य संस्थाएं सरकार से प्रति मृत देह 2000 रुपये लेती हैं.
बजरंग दल सूरत महानगर के प्रमुख देवी प्रसाद दुबे कहते हैं – कार्यकर्त्ता हमेशा समाज के साथ संकट की घडी में खड़े हैं, आगे भी और अधिक स्वयंसेवकों को जोड़ने की आवश्यकता पड़ी तो बजरंग दल तत्पर रहेगा.
अस्पताल से बाहर शमशानों में भी सेवकों की कमी दूर करने के लिए विहिप के 50 कार्यकर्ता सूरत के रामनाथ घेला अंतिम क्षेत्र, उमरा में रात-दिन मृतदेहों का अंतिम संस्कार करने में लगे हैं. सूरत के एक अन्य शमशान घाट कैलाश मोक्ष धाम, कठोर में 22 स्वयंसेवक अंतिम क्रिया संपन्न कर रहे हैं. संजय बंसल, सह-महामंत्री विहिप सूरत महानगर बताते हैं कि 9 अप्रैल से सतत यह कार्य जारी है और जब तक आवश्यकता पड़ेगी, कार्य चलता रहेगा, अन्य शमशान घाटों का व्यवस्थापन यदि करना पड़े तो हम उसके लिए तैयार हैं.
इसके अलावा विहिप के एक अन्य आयाम मातृशक्ति द्वारा सूरत के दोनों बड़े सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन गायत्री महायज्ञ संपन्न कराया जा रहा है. बहनों द्वारा समाज में भी अनेक सोसाइटियों में भी हवन-यज्ञ संपन्न कराए जा रहे हैं. जिससे वातावरण से नकारात्मकता व जीवाणुओं का नाश हो.
विहिप द्वारा अमरोली विस्तार में होम आइसोलेशन के लोगों को प्रतिदिन घर पर भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें घर की बहनें भोजन तैयार कर 150 लोगों को भोजन करा रही हैं.