करंट टॉपिक्स

सर्वेक्षण – शारीरिक तौर पर निष्क्रिय लोगों को कोरोना का ज्यादा खतरा, झुग्गी बस्तियों में 41.6 में एंटीबॉडी मिली

Spread the love

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप और पहले से ज्यादा खतरनाक म्यूटेशन के कारण घातक बनता जा रहा है. दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोना वायरस को समझने की कोशिश कर रहे हैं. अभी तक ये माना जा रहा था कि कोरोना वायरस का उन इंसानों पर अधिक असर होता है जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं. मगर, हाल ही में एक अध्ययन में ये सामने आया है कि खराब जीवनशैली के साथ जीने वाले लोग सबसे अधिक इसकी चपेट में आ रहे हैं.

ब्रिटेन में हुए एक शोध में पाया गया कि महामारी आने से पहले कम से कम दो साल तक निष्क्रिय लोगों के अस्पताल भर्ती होने और मौत की आशंका अधिक है. ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के अनुसार धूम्रपान, मोटापा और हाइपरटेंशन की तुलना में शारीरिक तौर पर निष्क्रिय होना सबसे ज्यादा बड़ा जोखिम माना गया है. अभी तक कोरोना वायरस जैसे गंभीर संक्रमण का कारण बढ़ती उम्र, डायबिटीज, मोटापा या कार्डियोवैस्क्युलर बीमारी था. मगर अब निष्क्रिय जीवनशैली भी इस सूची में शामिल है. इस बात का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने अमेरिका में 48 हजार 440 कोविड संक्रमित वयस्कों पर शोध किया.

पुरुषों से ज्यादा मजबूत है महिलाओं का इम्यून सिस्टम

कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के मुंबई में बीएमसी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अधिक एंटीबॉडी है. सर्वे के तहत खून के नमूनों की जांच कर यह पता लगाया जाता है कि लोगों में किसी वायरस के खिलाफ कितनी एंटीबॉडी बनी है. विशेषज्ञों का कहना है कि जीवन शैली के कारण पुरुषों का स्वास्थ्य महिलाओं के मुकाबले खराब रहता है. इसलिए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है.

36.50 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी विकसित

बीएमसी ने मुंबई में तीसरा सीरो सर्वे कराया है, जिसमें 36.50 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई है. सीरो सर्वे में कुल 10,197 लोगों की जांच की गई, जिससे पता चला कि पुरुषों में 35.02 फीसदी और महिलाओं में 37.12 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई है.

झुग्गी बस्तियों में 41.6 फीसदी एंटीबॉडी मिली

सर्वे में झुग्गी बस्तियों में 41.6 फीसदी एंटीबॉडी मिली है, जबकि जुलाई में हुए पहले सर्वे में इन बस्तियों में 57 फीसदी और अगस्त में हुए दूसरे सीरो सर्वे में 45 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई थी. वहीं, तीसरे सीरो सर्वे से पता चलता है कि बिल्डिंग में रहने वालों की तुलना में झुग्गी बस्तियों में रहने वाले 41 फीसदी लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ और उन्हें पता भी नहीं चला.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *