सिलीगुड़ी.

चीन की कायराना हरकत के पश्चात चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम रंग ला रही है. इस बार बहनें अपनी भाई की कलाई पर चीनी नहीं, स्वदेशी रक्षा सूत्र बांधकर देश की सुरक्षा का वचन लेंगीं. रक्षाबंधन का पर्व 03 अगस्त को है.
स्वदेशी रक्षाबंधन की मुहिम को सफल बनाने के लिए उत्तर बंगाल के तराई, डुवार्स व हिल्स में उत्साह देखा जा रहा है. इतना ही नहीं चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चाबंदी पर विभिन्न सामाजिक व व्यापारिक संगठनों की मुहिम भी रंग ला रही है. पहली बार होगा जब पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार पर 100 करोड़ की राखियां नहीं मंगवाई गई हैं. थोक हो या खुदरा बाजार स्वदेशी राखियां सजी हुई है.
पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी. इसका नाम सामने आते ही चायना बाजार और वहां सजे सामान आंखों के सामने आ जाते हैं. गलवान घाटी की घटना से भारतीयों में चीन के खिलाफ रोष देखा जा रहा है. सिलीगुड़ी से 200 से ज्यादा इंपोर्टर चीन से 1000 करोड़ का कारोबार करते थे. कारोबारियों का कहना है कि दुकानदार हो या ग्राहक सबसे पहले स्वदेशी राखी ही मांगते हैं. उनका कहना है – दाम की चिंता नहीं, हमें अपने देश की सुरक्षा के लिए भाई की कलाई पर राखी बांधनी है.
प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपील और सीमा पर तनाव के बाद पूरे देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के बीच भारतीय मानक ब्यूरो ‘स्वदेशी’ मानक का माहौल बन गया है. कारोबारी संजय, दिवाकर दास, महेश पाल, पवन अग्रवाल, शंकर साहा आदि का का कहना है कि भारत से पंगा लेकर चीन पर आफत आ गयी है. अब हिंदुस्तान में नहीं आएगा चीनी समान. भारत में चीनी वस्तुओं के विरूद्ध प्रदर्शन होने के साथ ही केन्द्र सरकार भी आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने और चीनी प्रोडक्ट के इम्पोर्ट पर रोक लगाने की रणनीति पर काम कर रही है.
केन्द्र सरकार ने चीनी निवेश और चीनी सामान के आयात पर धीरे-धीरे शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसके अंतर्गत अब सरकार चीन से आयात किए जाने वाले सामान पर भारी भरकम टैक्स लगाएगी, जो अगले पांच साल के लिए लागू रहेंगे. इसके साथ सरकार ने चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के लिए इन्हें दो कैटेगरी में बांटा है, जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है.
फ़ोसिन के महासचिव विश्वजीत दास, उत्तर बंगाल खुदरा दुकानदार यूनियन के अध्यक्ष परिमल मित्रा ने कहा कि व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स अपने त्यौहारों को खास बनाने जा रहा. 10 जून 2020 को शुरू हुए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान को समर्थन मिल रहा है. बाज़ारों में इस बार भारतीय सामान से बनी राखियों की मांग बढ़ गई है. खरीदार चीनी राखियों की बजाय भारतीय सामान से बनी राखियों के लिए अधिक कीमत भी देने को तैयार हैं.
व्यापारी और उपभोक्ता चीन को सबक सिखाने के लिए रक्षाबंधन और दीपावली पर चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे, कैट की इस मुहिम की पहली बानगी रक्षाबंधन पर दिख सकती है. त्यौहारों से जुड़े भारतीय सामान बनाने वाले निर्माता, कारीगर, लघु उद्योग, कुम्हार, महिला उद्यमी, स्वयं उद्यमी, स्टार्टअप आदि से संपर्क कर ये पता करें कि उनके राज्य में कितनी मात्रा में यह सामान बनता है. ये भी बताएं कि उनके यहां कितनी मात्रा में इन सामानों की खपत होती है.
पहली बार है कि जब उत्तर बंगाल की महिलाओं ने नए-नए प्रयोग करते हुए कई अन्य प्रकार की राखियां भी विकसित की हैं, जिनमें विशेष रूप से तैयार मोदी राखी, दीदी राखी, राम राखी, बीज राखी भी शामिल है. जिसके बीज राखी के बाद पौधे लगाने के काम में आ सकते हैं.
अभी देश में त्यौहारों का मौसम है. इस दौरान विदेशी खासतौर पर चीनी वस्तुएं बाजार में दिखती हैं. इसे देखते हुए स्वदेशी जागरण मंच सहित अन्य संगठन मुहिम चला रहे हैं. उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी भी दी जाएगी कि विदेशी उत्पादों के बदले कौन से भारतीय उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं. इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है.