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इंडिया नहीं, ‘भारत’ हमारे पूर्वजों की विरासत है

‘एक राष्ट्र, एक नाम – भारत’ विषय़ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। "न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते", जिसका अर्थ है "इस...

एक युग की समाप्ति ..!

इक्कीसवीं सदी में जिनधर्म के मूर्तिमान स्वरूप, जिनवाणी के अनन्य साधक, अनेकांत एवं स्याद्वाद के दिव्य प्रवर्तक, जैन आदर्शों को अपनी चर्या से प्रतिपादित करने...