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साहित्य रचना केवल स्वांत सुखाय नहीं, बहुजन हिताय होनी चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी

भुवनेश्वर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भाषा लोगों के दिलों के साथ-साथ समाज को जोड़ने का प्रमुख साधन...

सूर्य की भांति हमारा राष्ट्र स्थिर, अमर एवं चिरंतन है – डॉ. मोहन भागवत जी

कट्टर हिन्दुत्व यानि कट्टर सत्यनिष्ठा, कट्टर अहिंसा, कट्टर अस्तेय, कट्टर ब्रह्मचर्य, कट्टर अपरिग्रह, कट्टरता उदारता के लिये मेरठ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ....