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पारम्परिक सांस्कृतिक मूल्यों वाले भारत को फिर से गढ़ने की आवश्यकता – डॉ. दिनेश जी

उदयपुर. ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो. प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो....’ भारत में प्रतिदिन आरती के साथ दोहराए जाने...

वैराग्य – भारतीय दर्शन संस्कृति का अभिन्न अंग

भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 35 श्री भगवानुवाच असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं. अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते.. अर्थात श्रीभगवान् कहते हैं – हे,...