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प्राचीन भारतीय न्याय व्यवस्था /१

प्रशांत पोळ सामान्यतः ऐसा माना जाता है (और जो शालेय / महाविद्यालयीन शिक्षा से और दृढ़ होता गया है) कि, न्याय प्रणाली, न्यायालय, न्यायमूर्ती, वकील.......

विद्यालयीन शिक्षा से बच्चों को दिशा, सामर्थ्य व आत्मविश्वास प्राप्त होता है – डॉ. मोहन भागवत जी

नागभीड (महाराष्ट्र). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि विद्यालयों के माध्यम से हमें इस देश से एकरूप रहने वाला,...