करंट टॉपिक्स

सही मायनों में 1975-77 में देश का संविधान खतरे में था!

भारतीय संविधान को खतरा किससे ? बलबीर पुंज संसद में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा हुई. इस दौरान नेता विपक्ष ने हिन्दू समाज को...

लोकमाता अहिल्यादेवी की त्रि-शताब्दी के निमित्त 300 कार्यक्रमों का आयोजन करेगी सेविका समिति

नागपुर (14 जुलाई, 2024). राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का जी ने कहा कि राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर प्रत्येक व्यक्ति को नागरिक कर्तव्यों का...

25 जून ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

नई दिल्ली. हर वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है....

राष्ट्र सेवा के 76 वर्ष – अराजकता नहीं, रचनात्मकता को बनाया कार्य का आधार

शालिनी वर्मा नित्य नूतन प्रेरणा ले, बढ़ रहे है कोटि चरण हैं. नर ही नारायण हमारा, राष्ट्र को हम सब शरण हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी...

पत्रकार को समाचार को रोचक बनाने के चक्कर में सत्यता को नहीं छिपाना चाहिए – सुनील आंबेकर

देश में एक मिशन के तौर पर हुआ था पत्रकारिता का शुभारंभ - मुख्यमंत्री नायब सैनी पंचकूला. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि देश...

एक परिवार की जिद ने घोंट दिया था लोकतंत्र का गला; आपातकाल के दंश की भयावह गाथा

आज के दौर में बहुतेरे युवाओं को उन स्‍याह दिनों के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी, जिसे आपातकाल कहा जाता है. दरअसल, भारत में...

स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला दिन 25 जून, 1975

सरोज कुमार मित्र 12 जून, 1975 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया. इंदिरा गांधी ने इसके...

भारतीय मीडिया को विदेशी षड्यंत्रों के नैरेटिव से बाहर आना होगा – उमेश उपाध्‍याय

पत्रकारिता में सत्‍यता का अन्‍वेषण करते हुए ही उसे दिव्‍यता के साथ पूर्णता दी जा सकती है - सुभाष जी लखनऊ (विसंकें). देवर्षि नारद जयन्‍ती...

युगानुकूल नवरचनाओं के लिए तैयार होंगे कार्यकर्ता – निंबाराम जी

कोटा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र के तीनों प्रान्तों के स्वयंसेवकों का "कार्यकर्ता विकास वर्ग - प्रथम" का शुभारम्भ वैशाख शुक्ल एकादशी को कोटा में...

संविधान की हत्या करने वाली तानाशाही के स्वर्णिम किस्से..!!

कृष्णमुरारी त्रिपाठी देश में गाहे-बगाहे इमरजेंसी, तानाशाही, हिटलरशाही जैसे शब्द सुनाई देते रहते हैं. हताशा से भरा एक वर्ग अपना राग अलापता रहता है. लोकतंत्र...