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तथागत बुद्ध

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आज 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा है. तथागत #बुद्ध का जन्म उनका बुद्धत्व और महापरिनिर्वाण, यह तीनों बैसाख पूर्णिमा को हुए थे.

बुद्ध ने विश्व के मानवों के जीवन का गहरा अध्ययन किया था. उन्होंने पाया था कि यह संसार दुःखमय है – पर इस दुःख से निकल कर निर्वाण पाया जा सकता है. बुद्ध मार्ग के कुछ वैशिष्ट्य इस प्रकार है.

  1. समता – बुद्ध ने अपना धम्म और निर्वाण मार्ग, बिना किसी भेदभाव के, सब जनों के लिए खोल दिया. एक बार शाक्य राजवंश के कुछ विशिष्ट लोग और उस समय छोटी समझी जाने वाली नाई जाति का उपालि उनके पास दीक्षा लेने के लिए पहुंचे. बुद्ध ने उपालि नाई को उसी दिन दीक्षा दी व शाक्य प्रमुखों को अगले दिन. इस प्रकार उपालि नाई इन सबसे वरिष्ठ हो गया.

बुद्ध ने ‘मंगीसुणीत’ अछूत कहे जाने वाले ‘सोपाक’ और ‘निम्न’ कही जाने वाली जाति के कम्पत-पुर को भी प्रेमपूर्वक दीक्षा दी. बुद्ध के यहां जाति भेद के बिना सब मनुष्य एक सामान थे.

  1. महिला सशक्तिकरण – महाप्रजापती गौतमी के सतत आग्रह पर, धम्म में यह चर्चा हुई कि ‘क्या स्त्रियों’ को ‘संघ’ में प्रविष्ट होने की अनुमति दी जाए – इन चर्चाओं के बाद स्त्री समानता को स्वीकार करे हुए बुद्ध ने अपने द्वार स्त्रियों के लिए भी खोल दिए.

बुद्ध के धम्म में कोई पतित नहीं था, कोई पापी नहीं. आम्रपाली वेश्या ने उन्हें अपने घर भिक्षा के लिए आमंत्रित किया. विरोध के बावजूद तथागत उसके घर गए, भिक्षा ग्रहण की और आम्रपाली को मुक्त कर दिया. डाकू अंगुलिमाल को भी उन्होंने अपने संघ में प्रविष्ट किया तथा भिक्षु बनाया.

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  1. करुणा – मनुष्य या यूं कहें कि मानव-मात्र के लिए करुणा बुद्ध धर्म के विस्तार का कारण बना. उनका धम्म कर्मकाण्डों से मुक्त था. किसी विशिष्ट पुरोहित वर्ग का धम्म पर एकाधिकार नहीं था.

सब का स्वागत सरल मार्ग और करुणा पर आधारित धम्म का विश्व में स्वागत हुआ.

  1. बुद्ध ने अपने धम्म में अपने लिए कुछ भी विशेष स्थान नहीं रखा.

— ईसा ने किसी भी इसाई की मुक्ति के लिए अपने आप को ईश्वर का बेटा मानने की अनिवार्य शर्त रखकर, ईसाइयत में अपने लिए एक खास स्थान सुरक्षित कर लिया.

— मुहम्मद साहब ने किसी भी मुस्लमान की मुक्ति को अपने को खुदा का पैगम्बर मानने की अनिवार्य शर्त पर निर्भर करके अपने लिए इस्लाम में एक खास स्थान सुरक्षित कर लिया.

— बुद्ध ने कभी कोई ऐसी शर्त नहीं रखी. उन्होंने शुद्दोदन और महामाया का प्राकृतिक पुत्र होने के अतिरिक्त कभी कोई दूसरा दावा नहीं किया.

—  दो-तीन बार बुद्ध के अनुयायियों ने उनसे प्रार्थना की कि वे किसी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दें. बुद्ध का उत्तर था “धम्म ही धम्म का उत्तराधिकारी है”.

  1. बुद्ध ने कभी किसी को मुक्त करने का आश्वासन नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि वह मार्गदर्शक हैं, मोक्ष-दाता नहीं.

  1. बुद्ध ने अपने या अपने शासन के लिए किसी प्रकार की अपौरुषेयता का दावा नहीं किया. उनका धम्म मनुष्यों के लिए एक मनुष्य द्वारा अविष्कृत धम्म है. यह अपौरुषेय नहीं है.

— बुद्ध का दावा इतना ही था कि जहां तक उन्होंने समझा है, उनका पथ मुक्ति का सत्य-मार्ग है. इसका आधार संसार भर के मनुष्यों के जीवन का व्यापक अनुभव है. हर किसी को इस बात की स्वतंत्रता है कि वह इसके बारे में प्रश्न पूछे, परीक्षण करे और देखे कि वह सन्मार्ग है या नहीं.

— यह चुनौती इतिहास विरले ही धर्म संस्थापकों ने दी होगी.

सारांश –

बुद्ध की शिक्षाएं समस्त मानवजाति के लिए आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी पहले के समय में.

यह शिक्षाएं मनुष्य को सरल सत्य मार्ग, समानता व प्राणिमात्र के प्रति करुणा सिखाती है.

विश्व हिन्दू परिषद् का बुद्ध पूर्णिमा पर तथागत बुद्ध को सादर नमन्

 

आलोक कुमार

अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद

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