रांची. पलामू की घटना ने जय भीम-जय मीम के गुब्बारे की हवा निकाल दी है. साथ ही मीम-भीम एकता के ठेकेदार भी चुप्पी साध बिल में छिप गए हैं. पलामू जिले के पांडू प्रखंड के कुजरुकला पंचायत के अल्पसंख्यक बहुल मुरूममातू गांव में लगभग 4 दशक से मिट्टी और खपरैल के घर में रह रहे करीब 50 लोगों को मुस्लिम दबंगों ने बेघर कर दिया. लगभग चार दशक से गांव में रह रहे वंचित समाज के 50 सदस्यों के घर तोड़ दिए. दबंगों ने मदरसे की जमीन बता कर परिवारों को बेघर कर दिया. और उन्हें जबरन गांव से निकाल दिया है.
दबंगों ने सोमवार को अचानक समूह बनाकर टोंगरी पहाड़ी के निकट रह रहे मुसहरों के कच्चे घर और झोपड़ियों पर हमला बोल दिया. इस दौरान कई घर तोड़ दिये गये. बाद में डरे-सहमे 50 से अधिक लोग स्थानीय पांडू थाना पहुंचे और पुलिस से इंसाफ की गुहार लगाई. गांव और जमीन से बेदखल किये जाने के बाद वंचित समाज के लोग अब अपने आशियाने के लिए भटक रहे हैं. घर तोड़े जाने के बाद इन परिवार ट्रक और अन्य वाहनों पर अपना सामान रखकर आसपास के रिश्तेदारों और अन्य ठिकानों की तलाश में जुटे.. वहीं बारिश के मौसम में इन्हें बेखर किये जाने से उनकी मुश्किलें काफी बढ़ गयी है.
पीड़ित पक्ष का कहना है कि सोमवार को मुस्लिम समाज के लोगों ने नाजायज तरीके से उनके मिट्टी और फूस के घर को ध्वस्त कर दिया. उनका सामान एक वाहन पर जबरदस्ती लादकर छतरपुर प्रखंड लोटो गांव के पास छोड़ दिया गया. पीड़ित परिवारों में कुछ पांडू थाना पहुंचकर सोमवार की दोपहर बाद शिकायत की है. पांडू के प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचल पदाधिकारी राहुल कुमार ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है. वह मामले की जांच करा रहे हैं. बताया जा रहा है कि करीब 50 लोग बरसात के मौसम में बेघर हो गए हैं.
मुसहर परिवार के गिरजा मुसहर, संजय मुसहर, जितेंद्र मुसहर, नंदलाल मुसहर, संतोष मुसहर, लक्ष्मी देवी, रंजू देवी आदि ने मिलकर थाने में शिकायत दर्ज कराई.
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हिम्मतवाली हेमंत सरकार में जिहादियों की हिम्मत बढ़ गयी है.
वंचित समाज के परिवारों के घरों को मदरसे की जमीन बताकर तोड़ दिया गया और गूंगी-बहरी सरकार मौज मस्ती में लगी है. यह साबित करता है कि सरकार के संरक्षण में राज्य की डेमोग्राफी बदलने के लिए सुनियोजित तरीके से षड़यंत्र चल रहा है. बीजेपी विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि यह अस्वीकार्य है, महादलितों को बेघर करने की खबर पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश की नहीं, बल्कि पलामू झारखंड की है.