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अजमेर बलात्कार कांड के दोषियों को आजीवन कारावास नहीं, फांसी मिले – डॉ. सुरेंद्र जैन

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नई दिल्ली. वर्ष 1992 में अजमेर में “खादिमों” और पूर्व कांग्रेस नेता नफीस चिश्ती द्वारा सैकड़ों हिन्दू लड़कियों का शोषण और क्रूर गैंगरेप किया गया था. इस भयावह घटना के 32 वर्षों बाद, अजमेर में POCSO कोर्ट ने मामले में नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ़ टार्ज़न, सलीम चिश्ती, सुहैल गनी, और सैयद जमीम हुसैन को दोषी ठहराते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा की विश्व हिन्दू परिषद अजमेर रेप कांड में आए ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए मांग करती है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी अपराधियों को सिर्फ कारावास नहीं अपितु, फांसी दी जाए.

यह कैसा दुर्भाग्य है कि सौ से अधिक पीड़ित बच्चियों को न्याय की मांग हेतु अनेकों बाधाओं का सामना करते हुए 32 वर्ष प्रतीक्षा करनी पड़ी. इस न्याय की यात्रा ने विभिन्न न्यायालय (उच्च न्यायालय, फास्ट ट्रैक कोर्ट, सर्वोच्च न्यायालय, और POCSO कोर्ट) में कई मोड़ लिए, लेकिन अंततः सत्य की विजय हुई, और हमारी हिन्दू बेटियों के विरुद्ध किए क्रूर अत्याचारों की सज़ा तो मिली किन्तु, अभी यह अधूरी है. फांसी जरूरी है.

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डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि समय आ गया है कि अजमेर दरगाह शरीफ का काला इतिहास भी सबके सामने आए. यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि सलमान चिश्ती भी केवल शरीयत और अपने गुरु मोइनुद्दीन चिश्ती की शिक्षाओं का ही पालन कर रहे थे. जिनकी दरगाह पर वे ‘खादिम’ के रूप में कार्य करते थे. यह भी एक स्थापित तथ्य है कि कई बलात्कारी कांग्रेस के पदाधिकारी भी रहे हैं. कट्टरपंथियों व कांग्रेस का चोली-दमन का संबंध है.

उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद ने समय-समय पर हिन्दुओं से अपील की है कि वे दरगाह शरीफ पर न जाएं क्योंकि उनका पैसा खादिमों द्वारा अवैध उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और अजमेर बलात्कार मामला इसका स्पष्ट उदाहरण है. वहाँ के एक चिश्ती ने तो हिन्दुओं के आर्थिक बहिष्कार की बात भी की थी.

यह छिपी हुई बात नहीं है कि खादिम परिवार अतीत में भी विवादों में रहा है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हिन्दू दर्जी कन्हैया लाल की निर्मम हत्या के बाद, अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती ने इस घटना के एक आरोपी रियाज अत्तारी से मुलाकात की थी. यह भी महत्वपूर्ण है कि अजमेर दरगाह की अंजुमन समिति के सरवर चिश्ती ने उग्र बयान देकर हिंसा को बढ़ावा दिया और पूरे देश को “हिलाने” की धमकी दी. रिपोर्टों के अनुसार, सरवर चिश्ती ने खुद को प्रतिबंधित संगठन (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) का सदस्य बताया था और अजमेर दरगाह से हिन्दुओं के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया था. हिन्दुओं के प्रति नफरत जारी रखते हुए, सरवर चिश्ती के बेटे सैयद अली चिश्ती और आदिल चिश्ती ने हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान किया और गौहर चिश्ती ने “सिर तन से जुदा” का नारा देकर हिन्दुओं को धमकी दी. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अजमेर शरीफ दरगाह के खादिमों की संगठन अंजुमन सैयद ज़ादगान के सचिव चिश्ती ने हमारी बेटियों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था.

जिन छह दोषियों को जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, उनकी सजा एक उम्मीद की किरण है तथा हमें आशा है कि दोषियों को सिर्फ कारावास नहीं, अपितु मृत्यु दंड मिलेगा. विश्व हिन्दू परिषद POCSO कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए पीड़ित परिवारों के साथ मजबूती से खड़ा है.

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