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ऑपरेशन स्थल – बीजापुर में उसूर थाना क्षेत्र अंतर्गत कोतापल्ली गांव के कर्रेगुट्टा पहाड़ी में पिछले 5 दिनों से मुठभेड़ जारी है।
ऑपरेशन का सेंटर पॉइंट करेगुट्टा पहाड़ है। यह तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है।
ऑपरेशन में लगे जवान – लगभग 08-10 हजार जवान, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), कोबरा बटालियन और तेलंगाना की ग्रेहाउंड फोर्स शामिल हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र से भी सी-60 कमांडो ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं।
बीजापुर। राज्य में नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है। बस्तर के जंगलों में एंटी नक्सल ऑपरेशन तेजी से चल रहा है और खूंखार वांछित नक्सली मारे जा रहे हैं। कई मुख्य धारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण कर रहे हैं। लोन वर्राटू जैसे अभियान और नियद नेल्लानार जैसी योजनाएं बस्तर की तस्वीर बदलने में सहायक सिद्ध हुई हैं।
इस समय बीजापुर में उसूर थाना क्षेत्र अंतर्गत कोतापल्ली गांव के कर्रेगुट्टा पहाड़ी में पिछले 5 दिनों से मुठभेड़ जारी है। नक्सलियों के खिलाफ जारी बड़े ज्वाइंट ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने कई खूंखार नक्सलियों को घेर रखा है, जिसमें हिड़मा और देवा की भी शामिल होने की संभावना है। दोनों तरफ से रुक-रुक कर फायरिंग हो रही है। बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त अभियान शुरू किया है।
तेलंगाना की सीमा से लगे उसूर थाना क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में यह ऑपरेशन जारी है। ऑपरेशन के तहत सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। जवानों ने 3 नक्सलियों को मार गिराया है। सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों द्वारा बड़े स्तर पर लगाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) को देखते हुए बेहद सतर्कता से आगे बढ़ रहे हैं। अब तक 100 से अधिक आईईडी मिलने की बात सामने आई है, जिन्हें जवानों को निशाना बनाने के मकसद से बिछाया गया था। फिलहाल इलाके में बारूदी सुरंगों को हटाने का काम जारी है।
ऑपरेशन का सेंटर पॉइंट करेगुट्टा पहाड़ है। यह तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है। इस इलाके में माओवादियों के कई शीर्ष कमांडर और कैडर मौजूद हैं। सुरक्षा बलों ने ड्रोन और सैटेलाइट के जरिए इलाके पर लगातार निगरानी रखी हुई है। अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), कोबरा बटालियन और तेलंगाना की ग्रेहाउंड फोर्स शामिल हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र से भी सी-60 कमांडो ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं।
बस्तर में अब माओवादी उग्रवाद से आर पार की लड़ाई हो रही है। फोर्स नक्सलियों के बेस कैम्प तक पहुंच चुकी है। दशकों से बस्तर की धरती को निर्दोष लोगों के खून से लाल करने वाले नक्सली अब खुद की जान जाती देख बार-बार शांति प्रस्ताव भेज रहे हैं। लेकिन धोखेबाजी का पर्याय रहे नक्सलियों से अब कोई वार्ता करने की गुंजाइश नहीं है। राज्य सरकारें माओवादियों से हिंसा छोड़ मुख्य धारा में आने की अपील करती थीं, तो नक्सली लोगों का खून बहाकर उत्तर देते थे। अब स्वयं का अंत देख उनकी आत्मा थऱ-थर कांप रही है।