नई दिल्ली. अबू धाबी में बन रहा पहला हिन्दू मंदिर वैश्विक सौहार्द का प्रतीक होगा. इस मंदिर का अंतिम डिजाइन जारी कर दिया गया है. तथा मंदिर में लगने वाले पत्थरों की तराशी का काम भारत में चल रहा है. मंदिर प्रबंधन ने एक वीडियो के माध्यम से डिजाइन के विजुअल में मंदिर निर्माण की अवधारणा से लेकर शिलान्यास तक की क्रमिक प्रगति को प्रस्तुत किया है, इसका शिलान्यास पिछले वर्ष अप्रैल में हुआ था, लेकिन काम दिसंबर से शुरू हो सका.
गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक सौहार्द के प्रतीक माने जाने वाले इस मंदिर के फाइनल मास्टर प्लान में अबू मुरेख परिसर में एक पुस्तकालय, एक क्लास रूम, एक मजलिस तथा एक सामुदायिक केंद्र को दिखाया गया है.
मास्टर प्लान का काम 2020 की शुरुआत में पूरा हो गया था, लेकिन महामारी के कारण काम की गति धीमी पड़ गई. मंदिर प्रबंधन के प्रवक्ता अशोक कोटेचा ने बताया कि यह पहला अवसर है, जब फाइनल डिजाइन को वीडियो के माध्यम से जारी किया गया है.
भारत और यूएई के मार्गदर्शन में चल रहा मंदिर का काम
अशोक कोटेचा ने बताया कि मंदिर का काम सामुदायिक सहयोग तथा भारत और यूएई के नेतृत्व के मार्गदर्शन में चल रहा है. महामारी के बावजूद पत्थर तराशी का काम भारत में चलता रहा. इसमें भारत के विभिन्न मतों तथा महाभारत, रामायण तथा पुराणों की कहानियां उकेरी जा रही हैं.
वास्तव में पूरे भारत की पारंपरिक कहानियां तथा खाड़ी की डिजाइन इस मंदिर की विशिष्ट पहचान होगी. मंदिर प्रबंधन के प्रवक्ता ने बताया कि राजस्थान और गुजरात के विभिन्न स्थानों पर कारीगरों ने 25,000 घन फीट पत्थरों की तराशी की है. यह मंदिर का एक अहम हिस्सा होगा.