करंट टॉपिक्स

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री ने दी सही जानकारी

Spread the love

अयोध्या. पिछले कुछ समय से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य को लेकर अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं. मंदिर के गर्भगृह में पानी टपकने, गर्भगृह में पानी प्रवेश करने, मंदिर में पानी रिसने के भी दावे किये गए. इसे लेकर निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल भी खड़े किए गए. कुछ लोगों द्वारा एक नकारात्मक विमर्श खड़ा करने का भी प्रयास किया गया. लेकिन अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से सभी दावों को खारिज करते हुए आधिकारिक रूप से स्थिति को स्पष्ट किया गया है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय की ओर से आधिकारिक वक्तव्य जारी किया गया, जिसमें बिन्दुवार जानकारी दी गई है…..

छत से पानी टपकने के तथ्य –

  1. गर्भगृह जहाँ भगवान रामलला विराजमान हैं, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है.
  2. गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मण्डप है, इसे गूढ़ मण्डप कहा जाता है. वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग ६० फीट ऊँचा) गुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी. इस मण्डप का क्षेत्र ३५ फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं. द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है.
  3. रंग मण्डप एवं गूढ़ मण्डप के बीच दोनों ओर (उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) ऊपरी तलों पर जाने की सीढ़ियां हैं, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी. वह कार्य भी प्रगति पर है.
  4. सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्यूट एवं जंक्शन बॉक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्यूट को छत में छेद करके नीचे उतारा जाता है. जिससे मंदिर के भूतल की छत की लाइटिंग होती है. ये कन्ड्यूट एवं जंक्शन बॉक्स ऊपर की फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छिपाईं जाते हैं.

चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है. अतः सभी जंक्शन बॉक्स में पानी प्रवेश किया, वही पानी कंन्ड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा. ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है. जबकि यथार्थ में पानी कन्ड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था. उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा. प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा. फलस्वरूप कन्डयूट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नहीं जाएगा.

  1. मन्दिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है, जिसका कार्य भी प्रगति पर है. अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी. पूरे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिटों का भी निर्माण कराया जा रहा है.
  2. मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य तथा मन्दिर परिसर निर्माण / विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L&T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी चन्द्रकान्त सोमपुरा जी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख में हो रहा है. अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है.
  3. उत्तर भारत में लोहा उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है. इसी कारण सब स्थान पर यथेष्ट जानकारी का अभाव है. और जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है.

देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं. भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन-पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है.

  1. प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं. प्रातः ६.३० बजे से रात्रि ९.३० बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है. किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है. मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री ने कहा कि मंदिर निर्माण से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए केवल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकृत संवाद माध्यमों पर ही विश्वास करें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *