कोलकाता।
शहर में 48वें अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। 29 जनवरी से शुरू होने वाले पुस्तक मेले में आयोजकों ने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) को स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं दी, जबकि गत कई वर्षों से उनका स्टॉल लगता आ रहा है। विहिप 2011 से पुस्तक मेले में स्टॉल लगा रहा है।
आयोजकों से अनुमति न मिलने पर विश्व हिन्दू परिषद ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। विहिप ने कहा कि उनके आवेदन पर आयोजकों की तरफ से कोई उत्तर नहीं दिया गया। लेकिन, अब पब्लिशर्स एंड बुक सेलर्स गिल्ड का कहना है कि एक तो विश्व हिन्दू परिषद का आवेदन सही प्रारूप में नहीं था और दूसरी बात कि अब कुछ शर्तें और कानून बदल गए हैं, जिसके कारण विश्व हिन्दू परिषद पुस्तक मेले के लिए पात्र नहीं है।
गिल्ड की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि परिषद की ओर से प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकें भड़काऊ और संवेदनशील हैं, और ये पुस्तकें अशान्ति पैदा कर सकती हैं। चूंकि गिल्ड यह नहीं चाहती थी कि ऐसी कोई भी अशान्ति पैदा हो, इसलिए विश्व हिन्दू परिषद को मेले में स्थान नहीं दिया गया। इस तर्क पर आपत्ति जताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने कहा कि क्या गिल्ड को पता है कि विहिप के पास उसके प्रकाशन हैं? गिल्ड ने पहले भी विश्व हिन्दू परिषद को स्टॉल आबंटित किए हैं। अचानक ऐसा क्या हो गया कि गिल्ड को लगने लगा है कि विश्व हिन्दू परिषद के प्रकाशन संवेदनशील और विवादास्पद हैं कि वे परेशानी खड़ी कर सकते हैं?
इस पर गिल्ड का कहना था कि इस वर्ष मेले में कुछ नियमों में बदलाव किया गया है, इसलिए परिषद को स्टॉल के लिए अनुमति नहीं दी गई है। इस पर टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आपके पास कोई कानूनी नियम नहीं हैं। आपने इतने वर्षों तक अनुमति क्यों दी? आप अपने मन के अनुसार नियम बना रहे हैं। गिल्ड को यह आदेश दिया कि वह पुस्तक मेले में विश्व हिन्दू परिषद को स्टॉल लगाने के लिए स्थान दें और सोमवार अर्थात 20 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई में आगे की स्थिति के विषय में जानकारी दें
कोलकाता पुस्तक मेला 29 जनवरी से आरंभ होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष बांग्लादेश के प्रकाशक मेले का हिस्सा नहीं बनेंगे।