पुणे (16 दिसंबर, 2024).
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि उचित बातें समाज के समक्ष नहीं आईं तो अनुचित बातें समाज के सामने आती हैं. इस पृष्ठभूमि पर संघ के घोष का संपूर्ण इतिहास एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने वाले घोष अभिलेखागार का काफी महत्त्व है. अभिलेखागार के कारण घोष का उचित इतिहास नई पीढ़ी के समक्ष आएगा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय घोष संग्रहालय का उद्घाटन डॉ. भागवत के हाथों संपन्न हुआ. पुणे स्थित ‘मोतीबाग’ कार्यालय में घोष संग्रहालय और अभिलेखागार (अर्काइव) की परियोजना साकार की गई है, जिसमें संघ के घोष से संबंधित विस्तृत जानकारी और वाद्य संग्रहित किये गये हैं. घोष से संबंधित ग्रंथ, पुस्तकें, लेख और विभिन्न प्रकार की सामग्री यहां प्रस्तुत की गई है. घोष विषय के अध्ययनकर्ताओं तथा इस विषय के विशेषज्ञों के लिए शोधकार्य तथा अध्ययन की भी सुविधा है.
सरसंघचालक जी ने कहा कि सभी आवश्यक चीजें इस अभिलेखागार में संग्रहित हो चुकी हैं. सभी प्रकार की अचूक, सार्वत्रिक और आधिकारिक जानकारी यहां हर तरह से उपलब्ध हो, इस तरह से यह अभिलेखागार होना चाहिए. संघ के घोष विभाग का इतिहास नई पीढ़ी को पता होना आवश्यक है. पूर्व में घोष विभाग कैसा था और वह कैसे विकसित होता गया, यह जानकारी एक ही स्थान पर संग्रहित होना आवश्यक था. यह कार्य इस अभिलेखागार के कारण हुआ है.
उन्होंने कहा कि प्रांगणीय संगीत की परंपरा भारत से लुप्त हो चुकी थी. प्रांगणीय संगीत भारतीय संगीत के गलियारे में फिर से संघ के कारण ही आया है. प्रांगणीय अथवा मैदानी संगीत का पुनर्जीवन संघ के घोष की विशेषता है.
अभिलेखागार के प्रमुख मोरेश्वर गद्रे ने परियोजना की जानकारी दी. संघ के पश्चिम क्षेत्र के शारीरिक शिक्षण प्रमुख सुनील देसाई मुख्य रूप से उपस्थित थे. सुहास धारणे ने कार्यक्रम का संचालन किया.