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अपनों से अपनों को मिलाने का काम कर रहा है वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान

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जयपुर. वंशावली लिखने की परम्परा हमारे देश में प्राचीन काल से चली आ रही है. लेकिन आज वंशावली लेखकों में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, जिसे हम सब मिलकर कम करने का प्रयास करेंगे. इस समय पूरे देश में 4200 वंशावली लिखने वाले वंश लेखकों के नामों की वंशावली दिग्दर्शिका संस्थान के पास है, जिसमें राजस्थान से सबसे अधिक 2500 वंश लेखकों का डेटा कलेक्शन है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अखिल भारतीय धर्म जागरण सह प्रमुख अरुणकांत ने पाथेय कण के देवर्षि नारद सभागार में रविवार को आयोजित अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान के स्थापना दिवस समारोह में संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि संस्थान के कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर जुड़कर वंशावली को बेहतर करने का काम करना होगा, जिससे सभी लोगों को अपने वंश के बारे में विस्तार से जानकारी मिल सके. अभी पूरे देश के वंश लेखकों का डेटा संस्थान के पास नहीं है, जिसे एकत्रित करने का काम तेजी से किया जा रहा है, यह काम जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि वंशावली लेखन का काम सतयुग और द्वापर युग के बाद आज कलयुग में भी हो रहा है. इसको डिजिटल माध्यम से जोड़ते हुए प्रभावी बनाये जाने की आवश्यकता है. विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद रामचरण बोहरा ने कहा कि आज का युग डिजिटल का है, जिसका उपयोग वंशावलियों को संरक्षित करने के लिए किया जाना चाहिए.

कार्यक्रम की प्रस्तावना अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष परमेश्वर ब्रह्मभट्ट ने रखी. उन्होंने कहा कि वंशावली के माध्यम से हिन्दू समाज को टूटने से बचाया जा सकता है. संस्थान यह काम बखूबी कर रहा है, जिसके माध्यम से लोग अपनों से जुड़ पा रहे हैं.

समारोह में अतिथियों ने वंशावली लेखन करने वाले सत्यनारायण जागा, नवरंग लाल जागा, महावीर सिंह, रूप सिंह राव सहित युवा वंशावली लेखकों का सम्मान किया.

कार्यक्रम में गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के गांधीवादी विचारक एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जनक सिंह मीणा ने अतिथियों को भारत के स्वातन्त्र्य समर के जनजातीय नायकों की वीरगाथा नामक पुस्तक भेंट की.

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