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मझगवां से बिछियन गाँव का सफर 25 किमी. से घटकर होगा 3 किमी.

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ग्रामीणों ने ‌जन भागीदारी से सड़क बनाने का उठाया जिम्मा, 3 किमी सड़क बनाने में जुटेगा पूरा गांव

मझगवां. सतना जिले के मझगवां विकास खण्ड के जनजातीय गाँव बिछियन के निवासियों को अगर मझगवां जाना हो तो उन्हें 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. जबकि जंगल के रास्ते बिछियन से मझगवां की दूरी महज 3 किलोमीटर है.

वन विभाग से एनओसी मिलने के पश्चात अब बहु-प्रतीक्षित बिछियन से मझगवां पहुंच मार्ग का भूमिपूजन स्वावलंबन के तहत रविवार को दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने किया. अभय महाजन ने वीरांगना दुर्गावती जी के चित्र पर माल्यार्पण भी किया.

इस मार्ग के बनने से ग्राम पंचायत खोडरी एवं डेगरहट, बिछियन, तागी, कररिया गांव सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे, साथ ही पहले 25 किमी. दूरी तय करनी पड़ती थी, मार्ग बनने से मात्र 3 किमी. की दूरी तय कर मझगवा पहुंचा जा सकेगा.

इस अवसर पर खोडरी पंचायत के सरपंच लालमन सिंह ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन जी के सत् प्रयासों से आज यह काम संभव हो पा रहा है. वन विभाग से भी सड़क मार्ग के लिए मंजूरी मिल गई है. दीनदयाल शोध संस्थान की प्रेरणा और जन भागीदारी से इस काम की आज शुरुआत हो गई है. अब हमें एकजुट होकर सामूहिक श्रम साधना का हिस्सा बनकर गाँव के विकास में सहभागी होना पड़ेगा.

दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने कहा कि नाना जी ने सबसे पहले स्वावलंबन अभियान की शुरुआत खोडरी ग्राम पंचायत से सन् 2002 में की थी. उस समय बरहा से डेगरहट तक डेढ़ किलोमीटर की सड़क ग्राम वासियों ने अपने पुरुषार्थ और श्रम साधना से बनाई थी. इस तरह बिछियन के लोग भी जन भागीदारी और श्रम साधना से इस 3 किलोमीटर के मार्ग को पूरा करेंगे. हमको यह संकल्प लेना होगा कि हम वनों को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाएंगे. किसी भी पेड़ को न काटेंगे और ना काटने देंगे.

गौरतलब है कि भारत रत्न राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख ने चित्रकूट आने पर सबसे पहले दीनदयाल शोध संस्थान की स्वावलंबन गतिविधियों के तहत मझगवां क्षेत्र के वनवासी अंचल और दुर्गम गांवों को ही अपना कार्य क्षेत्र बनाया था. जहाँ समाज शिल्पी दंपत्तियों के माध्यम से ग्रामवासियों में स्वावलंबन का भाव जगाने एवं एक आदर्श गांव की सोच के साथ ग्रामवासियों की पहल और पुरुषार्थ से कई ऐसे कार्य हुए है, जो जन भागीदारी की बहुत बड़ा उदाहरण हैं.

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