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संभल के कट्टरपंथियों व उनके पैरोकारों पर रासुका लगाकर की जाए नुकसान की भरपाई

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नई दिल्ली. नवम्बर 25, 2024.

संभल में कट्टरपंथियों ने जिस प्रकार पुलिस पर पथराव, गोलीबारी और आगजनी की है, वह घोर निंदनीय है. मुस्लिम नेताओं, मौलाना तथा राहुल गांधी सहित अनेक नेताओं ने जिस प्रकार इस हिंसा का समर्थन किया है, वह भी चिंताजनक है. ऐसा लगता है, यह हिंसा इन नेताओं के भड़काऊ बयान बाज़ियों और मौलानाओं के इशारे पर ही भड़काई गई है. कट्टरपंथियों और नेताओं को चेतावनी देते हुए विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि ये लोग ऐसी आग से न खेलें जो अनियंत्रित होकर उनके घरों को भी जला सकती हो. उन्होंने मांग की कि दंगाइयों और उनके पैरोकारों पर रासुका लगा अविलंब गिरफ्तारी हो तथा उनसे सारे नुकसान की भरपाई भी की जाए. इतिहास साक्षी है कि जिन भी नेताओं ने इस प्रकार की अंधी हिंसा को भड़काया है, वह अंततोगत्वा उसी के शिकार भी बने हैं. हिंसा न तो मुस्लिम समाज के हक में है, ना ही इन नेताओं के.

हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश न्यायपालिका द्वारा दिया गया था. प्रशासन केवल न्यायपालिका के आदेश का पालन कर रहा था. यदि किसी को आपत्ति थी तो उनके पास बड़ी अदालत में जाकर इसके क्रियान्वन को रोकने का विकल्प था. पत्थर फेंककर, आग लगाकर, पुलिस पर गोलियां चलाकर अदालत के आदेश को क्रियान्वित होने से रोकने की असफल कोशिश करने में कौन सी समझदारी है? हमारी न्यायपालिका तो याकूब मेमन जैसे आतंकी को रात 3:00 बजे भी अपना पक्ष रखने का मौका देती है.

विदेशी आक्रांताओं के अत्याचारों के अवशेषों के प्रति उनको किसी भी प्रकार का मोह नहीं रखना चाहिए. इससे यह लगता है कि वे उन मुस्लिम आक्रमणकारियों को ही अपना आदर्श मानते हैं. इस मानसिकता से अपने प्रति संपूर्ण देश का अविश्वास ही निर्माण कर रहे हैं.

विहिप इन नेताओं और कट्टरपंथियों को चेतावनी देती है कि हिंसा का मार्ग उनके लिए पतन का मार्ग होगा. अब वह जोर जबरदस्ती करके अपनी नाजायज मांगों को नहीं मनवा सकते. देश की सरकारें और देशभक्त समाज इनके आगे समर्पण नहीं करेगा और इनकी गलत मांगों को स्वीकार नहीं करेगा. उन्हें हिंसा की जगह संवाद का मार्ग अपनाना चाहिए. हर मुद्दे का समाधान संवाद और न्यायपालिका के माध्यम से हो सकता है, सड़कों पर नहीं.

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