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चिकित्सा क्षेत्र को धन अर्जन का साधन न मानकर सेवा का माध्यम मानना चाहिए – स्वांत रंजन जी

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उदयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में अधिकारों से पहले कर्तव्यों पर जोर दिया गया है। डॉक्टरों को केवल व्यवसायिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सेवा भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। स्वांत रंजन जी आरएनटी मेडिकल कॉलेज में राष्ट्रीय मेडिकोज़ ऑर्गनाइज़ेशन (NMO) के 44वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि आरएसएस सदैव राष्ट्रहित को समर्पित संस्था रही है। महात्मा गांधी की हत्या के मामले में संघ को अकारण दोषी ठहराया गया। संघ का इतिहास देशसेवा और मानवीय उत्थान का रहा है। संघ का कार्य समाज को एकजुट करना और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए जागरूक बनें और अपने दैनिक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।

कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल गुलजारी लाल कटारिया जी ने कहा कि चिकित्सा को केवल धन अर्जन का साधन न मानकर सेवा का माध्यम समझना चाहिए। उन्होंने चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे मरीजों के प्रति सेवा भाव रखते हुए कार्य करें, जिससे समाज में चिकित्सा का सही उद्देश्य पूर्ण हो सके। चिकित्सा का क्षेत्र सबसे पवित्र है। इसे मानवीय सेवा के रूप में अपनाना चाहिए।

अधिवेशन में कलाकारों ने महाभारत प्रसंग पर नाट्य प्रस्तुति दी, जिसे उपस्थित जनसमूह ने खूब सराहा।

कार्यक्रम के समापन पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने सभी अतिथियों का सम्मान किया और युवा चिकित्सकों को समाज सेवा के प्रति प्रेरित किया। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता और सेवा भावना को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। चिकित्सा सेवा से जुड़े अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लिया और भारतीय संस्कृति, चिकित्सा सेवा एवं राष्ट्रीय विचारधारा पर मंथन किया।

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