गुवाहाटी. अंग्रेजी साप्ताहिक ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर विश्व संवाद केंद्र, असम द्वारा नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सूचना के आधार पर वास्तविक समाचार देश जगाने के विचार का नाम नारद है. नारद नाम एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्थान है. नारद नाम को नकारात्मक रूप में परोसा जाता रहा. इसके लिए अंग्रेजों द्वारा गुलामी के दौर में एक नेरेटिव तैयार किया गया, जिसे वाम विचारकों ने आगे बढ़ाया. इसका कारण अंग्रेजों की शिक्षा व्यवस्था है.
दुष्प्रचार द्वारा समाज में विभाजन लाने वाले भारतीय पत्रकारिता के वर्तमान फैशन को लेकर चिंता प्रकट व्यक्त करते हुए कहा कि फेक होने से न्यूज़ नहीं होती है, और न्यूज़ होने से फेक नहीं होती. 1817 के पहले के दस्तावेज में भारत को गांवों का देश नहीं कहा गया है. और, 1955 के पहले देश में भाषा को लेकर संघर्ष ना के बराबर था.
विश्व संवाद केंद्र, असम द्वारा देवर्षि नारद पुस्कार से सम्मानि किये गये अमार असम के डिप्टी एडिटर गौतम शर्मा ने कहा कि विभिन्न जाति-जनजातियों द्वारा सम्मिलित जाति को और भी गौरवशाली बनाने के लिए जन आंदोलन को छोड़ मन का आंदोलन शुरू करना बेहद आवश्यक है. असमिया भाषा संस्कृति की रक्षा करने के लिए सभी को एक होने का यह सही समय है. गौतम शर्मा ने कहा कि शंकरदेव शिशु निकेतन के जरिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) असमिया भाषा की उन्नति के लिए जो काम शांति के साथ कर रहा है, उस प्रक्रिया का एक हिस्सा विद्यालय है.
गुरुवार को गुवाहाटी स्थित सुदर्शनालय में विश्व संवाद केंद्र, असम के तत्वाधान में आदि पत्रकार नारद जयंती के अवसर पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया.
इस बार विश्व संवाद केंद्र, असम द्वारा देवर्षि नारद पुरस्कार अमार असम समाचार पत्र के डिप्टी एडिटर गौतम शर्मा को प्रदान किया गया. पुरस्कार के साथ 50 हज़ार रुपये का चेक प्रदान किया गया. गौतम शर्मा ने धनराशि को सेवा भारती छात्रावास को प्रदान कर दिया.
इस कार्यक्रम में निजी टीवी चैनल न्यूज़ लाइव के प्रांजल बरुवा, असमिया खबर समाचार पत्र की अरुणिमा कलिता और असमिया प्रतिदिन के हेमेन बर्मन को भी सम्मानित किया गया.