शिमला. शिमला में चल रही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक का समापन हो गया. रविवार, बैठक के अंतिम दिन देश भर से आए प्रतिनिधियों को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने संबोधित किया.
राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक में चार प्रस्ताव क्रमश: ‘शिक्षा क्षेत्र में राज्य सरकारों का अनैतिक हस्तक्षेप हो बंद’, ‘वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य’, ‘छात्र केन्द्रित एवं भविष्योन्मुखी राष्ट्रीय शिक्षा नीति’, ‘स्वावलंबी भारत बनाने की ओर अग्रसर हो युवा’, पारित किए गए. इन प्रस्तावों को पारित करने से पूर्व प्रतिनिधियों विस्तृत चर्चा की.
अंतर्राज्यीय छात्र जीवन दर्शन (सील) प्रकल्प को कोरोना काल के अंतराल उपरांत पुनः शुरू करने पर चर्चा हुई. ध्यातव्य हो कि इस प्रकल्प के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों को भारत के विभिन्न हिस्सों का दौरा करवाकर उन्हें भारत की विविधता से परिचित कराया जाता है.
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने कहा, “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा नई पीढ़ी तक पहुंचेगी. प्राचीन काल में भारतीय अर्थव्यवस्था अत्यंत सुदृढ़ थी तथा आयुर्वेद सहित विविध क्षेत्रों में भारत अग्रणी था. हमने स्वतंत्रता पश्चात सभी क्षेत्रों में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्ज की है. अब हमें हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने हेतु तेजी से प्रयास करने होंगे. अभाविप ने ‘उन्नत भारत’ जैसे अभियानों के माध्यम से देश के युवाओं को आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर करने हेतु उल्लेखनीय प्रयास किया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों के जिस तरह सर्वांगीण विकास की बात कही गई है, उसे धरातल पर सफल कर हम राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के उद्देश्यों में सफल हो सकते हैं.”
अभाविप की महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “अभाविप की यह महत्वपूर्ण बैठक अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रही है. विविध विषयों पर देश भर से आए प्रतिनिधियों के विचार संगठनात्मक गतिविधियों को दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित होंगे. बैठक में हमने अभाविप के 75वें वर्ष के लिए जिन लक्ष्यों को निर्धारित किया है, उसको पूर्ण करने की दिशा में हम तेजी से प्रयास करेंगे.”