सूर्यप्रकाश सेमवाल
धर्म, अध्यात्म, ज्ञान, तप, साधना और हिमालयी लोक सांस्कृतिक जीवंतता की प्रतीक पावनभूमि नेपाल का विश्वपटल पर और एशिया में विशेष महत्त्व है. नेपाल स्थित जनकपुर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की सहधर्मिणी जनक नंदिनी मिथिलेश कुमारी सीता जी का जन्म हुआ. महाभारत काल में जब कुंती पुत्र पांचों पाण्डव स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर रहे थे तो भगवान महादेव भोलेनाथ ने केदारनाथ में पांडवों को दर्शन दिए और साथ ही भगवान शिव नेपाल में “पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए. ईसापूर्व 563-483 में शाक्य वंश के राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था, अपना राज-पाट त्यागकर जो विश्व में महात्मा बुद्ध के नाम से लोक विख्यात हुए.
‘नेपाल’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम आचार्य चाणक्य ने अपने कौटिल्यीय अर्थशास्त्र में किया है. संसार की सबसे ऊंची 14 हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं, जिनमें 8848 मीटर ऊंचा संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा या माउंट एवरेस्ट भी एक है. विश्व युद्धों के दौरान, अपने गौरवमय गोरखा पराक्रम के लिए चर्चित नेपाल के वीर सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहे हैं.
गवान शंकर, माता जानकी और महात्मा बुद्ध से जुड़े भारत और नेपाल के सांस्कृतिक सम्बंध सैकड़ों वर्ष पुराने हैं, नेपाल के साथ रक्षा सहयोग आज का नहीं… बल्कि सात दशक पुराना है. जब भारत और नेपाल ने 1950 में शांति एवं मैत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के अनुसार, भारत एक स्थायी, समृद्ध एवं शांतिपूर्ण नेपाल के विकास का एक समर्पित साझेदार सहयात्री बनने की अपेक्षा रखता ही है.
भारत की ओर से 2014 के बाद तो नेपाल के साथ संबंध को मजबूती देने के लिए यथावसर प्रयत्न हुए, किन्तु नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन के इशारे पर भारत विरोधी माहौल बनाते रहे. ओली पर चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारों पर चलने के गंभीर आरोप लगे. भारत के खिलाफ ओली के इन कदमों और एकतरफा निर्णयों से न केवल नेपाल की जनता ने उस समय तीव्र विरोध किया, बल्कि ओली अपनी ही पार्टी के अंदर भी बुरी तरह घिर गए.
भ्रष्टाचार के खात्मे के वादे के साथ सत्ता में आए ओली खुद ही चीनी कंपनी के साथ भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गए. वर्षों से नेपाल को रेल लाइन से जोड़ने का वादा था ड्रैगन का, लेकिन नेपाल के कुछ क्षेत्र पर ही अपना दावा कर लिया. कोरोना काल में भी नेपालवासियों की गाढ़ी कमाई को चीन ने वायरस को रोकने के लिए मंगाए गए महंगे उपकरणों में लूट लिया. इस खरीद में ओली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा. नेपाल की भ्रष्टाचार निरोधक संस्था इसकी जांच कर रही है.
चीन की कठपुतली बनने और ड्रैगन के साथ गलबाहीं करने का आलम यहां तक पहुंचा कि जब भारत पूर्वी लद्दाख से जुड़े एलएसी पर चीन से कूटनीतिक जंग लड़ रहा था, उस दौरान ओली ने जानबूझ कर सीमा सहित कई तरह के विवाद खड़े किए.
नेपाल की जनता पिछले कई महीनों से ओली के विरुद्ध अभियान छेड़े थी तो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी मे भी घमासान. एक ओर ओली की गर्दन पर ड्रैगन की तलवार, दूसरी ओर बढ़ते जनाक्रोश तथा पार्टी के अंदर अलग-थलग पड़कर कुर्सी का संकट. इन सभी दबावों के बीच में वही हुआ, जिसका डर था. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 20 दिसंबर को ‘प्रचंड’ दबाव से बचने के लिए संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी, जिसे राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने स्वीकार करते हुए अगले वर्ष 30 अप्रैल और 10 मई को दो चरणों में मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी है.
नेपाल के संविधान में संसद को भंग करने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में ओली सरकार के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की मुहर पर विवाद है. ओली के कदम का न केवल उनकी पार्टी के ही अंदर पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ गुट विरोध कर रहा है, बल्कि देश की विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस भी आम चुनाव कराने का विरोध कर रही है. कई दलों ने इस मामले को अदालत में चुनौती दी है.
नेपाल के बदलते घटनाक्रम से भारत और चीन दोनों के कान खड़े होने स्वाभाविक हैं. चीन की राजदूत हाओ यांकी ने ओली सरकार को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. ड्रैगन की नीति तो ओली के माध्यम से नेपाल को इमरान के पाकिस्तान की तरह कब्जाना और गुलाम बनाना है. लेकिन भारत का लक्ष्य नेपाल में ओली के कार्यकाल में भारत-नेपाल के रिश्तों में आई भारी कड़वाहट को कम करते हुए नेपाल के जनमानस के साथ रोटी-बेटी के परंपरागत सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करना है. हाल के दिनों में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ, थल सेना प्रमुख और भारतीय विदेश सचिव की नेपाल यात्रा का निहितार्थ भी यही है.