काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि व्यक्ति के मध्य स्नेह का सूत्र ऐसा हो कि सुख में, आनन्द में, समस्याओं में लोग एक दूसरे के साथ खड़े रहें. स्नेह के कारण किसी प्रकार के संघर्ष की गुंजाइश नहीं होती. रक्षाबन्धन वास्तव में स्नेह बन्धन है. समाज के सामर्थ्यवान और सम्पन्न वर्ग द्वारा निर्बल वर्ग की रक्षा करना ही रक्षाबन्धन का उद्देश्य है. भय्याजी जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी मध्य भाग द्वारा सरोजा पैलेस में आयोजित रक्षाबन्धन उत्सव में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि जिस समाज के मन में दूसरों के प्रति स्नेह का भाव है, वही समाज स्थायी रहता है. श्रीमद्भगवत् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि किसी के प्रति विद्वेष का भाव न हो, उसे ही मनुष्य कहते हैं. मित्रता, करुणा, वेदना-सम्वेदना, मनुष्यता के आवश्यक गुण हैं. द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरु जी ने कहा है कि अपने समाज के प्रति, विश्व के प्रति, प्रकृति के प्रति आत्मीय स्नेह यह अपने कार्य का आधार है. जिस चिंतन में सबको साथ लेकर चलने का विश्वास है, विश्व पर उसी चिंतन का प्रभुत्व रहेगा. ऐसे चिंतन को मानने वाला एक मात्र हिन्दू समाज ही है. जब कोई कहता है कि भारत विश्व गुरु बनेगा तो इसका अर्थ कदापि नहीं है कि बाकी राष्ट्र भारत के अधीन रहेंगे, बल्कि सभी राष्ट्र भारत का अनुकरण करेंगे. भारत से जो भी सन्त-महात्मा, दुनिया भर में गए वह शस्त्र लेकर नहीं, अपितु शास्त्र लेकर गए. भारत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का चिंतन करता है.
उन्होंने वर्तमान समाज में व्याप्त चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान जीवन शैली में विकृति आ गयी है, इस देश में अपने आप को राष्ट्र की प्राचीन परम्परा का वाहक मानने वाला नागरिक चाहिए. प्रमाणिकता, एकता, न्याय, परस्पर सहयोग यह जीवन मूल्य हैं. कोई भी समाज, शत्-प्रतिशत स्वावलम्बी अथवा शत्-प्रतिशत परावलम्बी नहीं हो सकता. भारतीय मूल्य हमें परस्पर स्नेह बन्धन में बंधना सिखाते हैं.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सन्त निरंकारी मिशन के जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि संत निरंकारी मिशन का संदेश पूरी दुनिया को एकता के सूत्र में बांधने का है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी एकता के भाव को लेकर आगे बढ़ रहा है. कार्यक्रम के प्रारम्भ में दीप प्रज्ज्वलन के बाद भगवा ध्वज को मंचस्थ अतिथियों ने रक्षासूत्र बांधा. कार्यक्रम के अंत में उपस्थित नागरिक बन्धु, माता-भगिनी ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का वचन दिया.