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परिजनों ने पूरी की आशा कंवर की इच्छा, श्रीराम मंदिर के लिए समर्पित किये समस्त गहने

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जोधपुर. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में जुटे एक कार्यकर्ता के पास 04 फरवरी को एक फोन कॉल आया. फोन करने वाले ने कहा – ‘श्रीमान, मैं विजय सिंह गौड़ बोल रहा हूं. मेरी पत्नी आशा कंवर श्रीराम मंदिर के लिए अपने सारे जेवर भेंट करना चाहती थीं… आज वो हमें छोड़कर चली गईं, (इसके बाद कुछ सिसकियां और फिर रुंधे गले की आवाज)…, उनकी अंत्येष्टि से पहले कृपया आप लोग आइए… और उनकी अंतिम इच्छा के तौर पर सारे गहने प्रभु के लिए ले जाइए’, विजय सिंह ने बमुश्किल रोना रोकते हुए भर्राई आवाज में कहा.

ये शब्द सुनकर प्रांत प्रचार प्रमुख हेमंत घोष सन्न रह गए. खुद को संयत कर बोले – कृपया, आप पहले अंतिम संस्कार कीजिए. उनकी इच्छा अवश्य पूरी होगी.

श्रीराम मंदिर के लिए समर्पण की अगाध श्रद्धा की यह विरली कहानी आशा कंवर एवं पूरे गौड़ परिवार की है. जोधपुर के सूरसागर भूरटिया निवासी आशा कंवर (54) ने 01 फरवरी को अपने पति एवं बेटे मनोहर सिंह को झिझकते हुए श्रीराम मंदिर के लिए अपने सारे जेवर भेंट करने की इच्छा जताई थी. मध्यमवर्गीय परिवार के मुखिया विजय सिंह एवं प्राइवेट जॉब करने वाले उनके बेटे मनोहर सिंह ने सहर्ष इसका समर्थन किया. बेटे मनोहर ने मां को कहा कि वे जल्द ही पता करेंगे कि मंदिर के लिए गहने किस तरह सौंपे जाएं.

सास, बहू-बेटियां बोलीं, गहनों पर उनकी राम इच्छा का हक

आशा कंवर कुछ दिन पूर्व कोरोना से रिकवर हुई थीं, इसलिए 03 फरवरी को रुटीन चेकअप के लिए अस्पताल गईं. वहां चिकित्सकों ने फेफड़ों में संक्रमण बता एडमिट किया. अगले दिन सुबह 9 बजे आशा कंवर पूरे परिवार को निराशा में छोड़ चली गईं. अंत्येष्टि के बाद सास राधा कंवर, पुत्रियों उम्मेद कंवर व सीमा कंवर तथा पुत्र वधू सुजाता कंवर ने आशा कंवर की अंतिम इच्छा पूर्ण करने का संकल्प जताया.

आशा कंवर ने कुछ दिन पहले ही अपनी आत्मकथा लिखना शुरू किया था. इसमें उन्होंने विवाह से लेकर अब तक पीहर पक्ष व ससुराल पक्ष में मिले स्नेह का वर्णन किया. इसमें भी उन्होंने श्रीराम व रामायण से अपना लगाव जाहिर किया था. हालांकि उनकी यह आत्मकथा अधूरी ही रह गई.

समर्पण निधि स्वीकार करते भावुक हुए

आशा कंवर की सास, पति, पुत्र के अलावा दामाद जयसिंह, यशपाल सिंह व परिजन ब्रह्मसिंह, प्रेमसिंह, मोहनसिंह व अनोपसिंह ने हाथों से समर्पण निधि सौंपी तो लेने वालों की आंखें भी नम हो गईं. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निधि समर्पण अभियान के श्याम मनोहर, हेमंत घोष, प्रकाश मेवाड़ा, ललित शर्मा, पूर्व महापौर घनश्याम ओझा, व अन्य उपस्थित थे.

इन गहनों का समर्पण

आड़

कानों की झुमरिया

शीशफूल

हाथ की नोगरी

गले की चेन

दो जोड़ी टाॅप्स

एक जोड़ी अंगूठी

एक बोर (रकड़ी)

कान की बाळियां

टूसी (कंठी)

 

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