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युद्धकाल में राष्ट्रहित में विमर्श निर्माण में पत्रकारों की भूमिका महत्वपूर्ण

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नोएडा/गाजियाबाद, 25 मई 2025।

आद्य संवाददाता देवर्षि नारद जयंती एवं हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर “प्रेरणा शोध संस्थान न्यास” द्वारा “युद्धकाल में पत्रकारिता” विषय पर नोएडा स्थित एएसपीएम स्कॉटिश स्कूल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि अखिलेश शर्मा ने संगोष्ठी के आयोजन व विषय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत- पाकिस्तान के चार दिन के युद्ध के उपरांत अंतरराष्ट्रीय मंच पर विमर्श निर्माण में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पत्रकार होने के नाते युद्ध काल या ऐसे किसी भी महत्वपूर्ण समय में पत्रकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, ऐसे समय में नागरिकों के लिए सूचना के अभाव को भरना बहुत जरूरी है। क्या हम युद्ध काल में अपने दायित्व का पालन कर रहे हैं या नहीं? यह देखना बहुत जरूरी है। साथ ही, ऐसी कोई भी सूचना आपकी तरफ से प्रस्तुत नहीं की जानी चाहिए, जिससे दुश्मन को सहायता मिले। हमें अपनी सीमा, मर्यादा, जिम्मेदारी और दायित्व नहीं भूलना चाहिए।

संगोष्ठी में मुख्य अतिथि एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर अखिलेश शर्मा, विशिष्ट अतिथि टीवी9 की एसोसिएट एडिटर प्रमिला दीक्षित, टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क के सीनियर एंकर दिनेश गौतम रहे।

प्रमिला दीक्षित ने युद्ध काल में नागरिक बोध एवं पत्रकारों के बोध पर चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध काल में पत्रकार भी एक हथियार के रूप में प्रयुक्त होते हैं। युद्ध काल में नैरेटिव निर्माण की भूमिका भी बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती है, इसलिए “भारत से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए भारतीय स्रोतों पर ही भरोसा करें, न कि पाकिस्तानी प्रचार तंत्र पर”।

दिनेश गौतम ने कहा कि हम यह मान लेते हैं कि युद्ध लड़ना केवल सेना का काम है। लेकिन युद्ध कई स्तर पर लड़ा जाता है। पहलगाम की आतंकी घटना से आतंकियों ने केवल देश के प्रधानमंत्री मोदी जी को नहीं, बल्कि समस्त देश को एक चुनौती दी थी। जिसका उत्तर हमारी सरकार व सेना ने पाकिस्तान को बखूबी दिया। जब देश युद्धरत होता है तो आम आदमी भी उस युद्ध में कहीं न कहीं शामिल होता है, इसलिए एक पत्रकार के तौर पर हमने जो किया वो देश को आगे रखने के लिए किया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कृपाशंकर, प्रचार प्रमुख (उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) ने कहा कि उदंत मार्तंड की शुरुआत देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर हुई थी। इससे यह प्रमाणित होता है कि हिंदी पत्रकारिता में नारद जी की क्या भूमिका है। लेकिन हम धीरे-धीरे नारद जी को भूलते चले गए। उन्होंने संघ के सामाजिक योगदान एवं पंच परिवर्तन की चर्चा करते हुए सामाजिक परिवर्तन में मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

गीत एवं अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संसद टीवी के संपादक श्याम किशोर ने प्रस्तावना रखी। उन्होंने कहा कि युद्ध का समय संवेदनशील होता है, और युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि जनमानस में भी लड़ा जाता है; ऐसे में पत्रकार जनमत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। युद्धकाल में पत्रकारिता बड़ी सूझबूझ से करनी चाहिए।

मंच संचालन आशीष और धन्यवाद ज्ञापन हरीश द्वारा किया गया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में पत्रकार, छात्र, शोधार्थी व बुद्धिजीवी वर्ग उपस्थित था।

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