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समाज हितैषी कार्य करते हुए जन-जन तक पहुँचा संघ

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मध्यभारत प्रांत के संघ शिक्षा वर्गों प्रकटोत्सव समारोह सम्पन्न

भोपाल। रायसेन, सिरोंज एवं विदिशा में आयोजित मध्यभारत प्रांत के संघ शिक्षा वर्गों का प्रकटोत्सव समारोह रविवार को सम्पन्न हुआ। वर्ग में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले स्वयंसेवकों ने सूर्य नमस्कार, योग, व्यायाम योग, दंड युद्ध, नियुद्ध और पदविन्यास का प्रभावी प्रदर्शन किया।

रायसेन में मुख्य वक्ता प्रांत संघचालक अशोक पांडेय ने कहा कि शुरुआती दौर में संघ को उपेक्षा, उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा, फिर भी संघ समाज हित में निरंतर कार्य करते हुए जन-जन तक पहुंचा। वर्तमान में देशभर में संघ की लगभग 73,000 शाखाएं, हजारों मिलन और समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में समविचारी संगठन सक्रिय हैं।

उन्होंने कहा कि संघ शताब्दी वर्ष में समाज में पांच परोपकारी कार्य लेकर समाज की दृष्टि से कार्य कर रहा है, वृक्ष और जल का संरक्षण तथा सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त भारत, समरसता के माध्यम से समाज में व्याप्त क्लेश तथा जन्म आधारित छुआछूत और अस्पृश्यता को समाप्त करना, परिवार नामक हमारी संस्था के टूटने के कारण समाज में आ रही गिरावट को कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से रोकना, अपने गौरवशाली अतीत को याद कर उस पर गर्व करना, अपनी श्रेष्ठ ज्ञान/परंपराओं आदि को पुनः स्थापित कर “स्व बोध” का भाव जागरण करना एवं नागरिक शिष्टाचार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक कर्तव्य व शासन-समाज के नियम और कानून का पालन कर सभी को राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने के पवित्र कार्य में सहयोगी बनाना है।

सिरोंज प्रकटोत्सव समारोह के अध्यक्ष श्री श्री 1008 ईश्वर दास जी ने आशीर्वचन ने देते हुए कहा कि स्वयंसेवक अपनी साधना एवं त्याग के बल पर समाज सेवा में रत रहते हैं। स्वयंसेवकों को यह शिक्षा शाखा एवं वर्ग के माध्यम से प्राप्त होती है।

मुख्य वक्ता सह प्रांत संघचालक डॉ. राजेश सेठी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हर भारतवासी में राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र निर्माण के लिए हुई थी। जिसका उद्देश्य व्यवस्था परिवर्तन से समाज परिवर्तन ‘स्व’ के आधार पर करना है, यह संघ ही है जहाँ व्यक्ति आता है तो उसका अहंकार समाप्त हो जाता है एवं संस्कारों का निर्माण होने लगता है।

डॉ. हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना कोई आवेश में आकर नहीं की, बल्कि बहुत सोच विचार कर की थी। आज संघ शताब्दी वर्ष में है, समाज परिवर्तन करना होगा, व्यवस्था परिवर्तन करना होगा। संघ समाज परिवर्तन करने के लिए राष्ट्रीय चेतना का स्तर बनाने निकला है। भारतवासी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए प्राणों को न्यौछावर तक करने तैयार हैं।

स्वामी विवेकानंद कहते थे – हर राष्ट्र का स्वभाव होता है। सर्वे भवन्तु सुखिनः भारत का स्वभाव है और विश्व गुरु बनना भारत की नियति है। भारत जहाँ गया संस्कृति देकर आया, समृद्धि देकर आया है।  यह भारत है, जिसमें स्व का स्वभिमान का भाव है, और यही भाव जागृत करना संघ का उद्देश्य है।

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