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संघ का स्वयंसेवक अपने लिए नहीं, समाज के लिए जीता है

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गोरक्ष. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कहा कि संघ में अनुशासन का वही स्थान है जो शरीर में प्राण का होता है, और यही अनुशासन कार्यकर्ताओं में लाने हेतु संघ विभिन्न प्रशिक्षण वर्गों का हर वर्ष आयोजन करता है. क्योंकि अनुशासन का पालन करने वाले कार्यकर्ता समाज में अग्रणी भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि संघ में कार्यकर्ता निर्माण का मुख्य आधार संघ शिक्षा वर्ग है. इसलिए संघ ने स्थापना के दो वर्ष बाद से ही प्रशिक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया था. धीरे-धीरे समयानुसार इसमें परिवर्तन हुआ और अब इस वर्ष से प्रशिक्षण वर्ग के नाम एवं प्रशिक्षण में परिवर्तन किया गया है. स्वयंसेवक अपने लिए नहीं, अपने समाज के लिए जीता है. प्रांत प्रचारक देवरिया के श्री नर्वदेश्वर सरस्वती विद्या मंदिर में गोरक्ष प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग के उद्घाटन सत्र (05 जून) में संबोधित कर रहे थे.

प्रांत प्रचारक ने कहा कि 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन डॉ. हेडगेवार जी ने आरएसएस की स्थापना की थी और हिन्दू समाज को एकजुट करने का संकल्प लिया था. वह संकल्प आज वट वृक्ष बन चुका है और विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था है.

संघ स्थापना काल से ही व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के ध्येय को लेकर आगे बढ़ रहा है. संघ शिक्षा वर्ग के माध्यम से निरंतर संस्कारित, अनुशासनबद्ध, राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत युवा पीढ़ी का निर्माण हो रहा है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचकर अपनी विशेष छाप छोड़ रहे हैं. प्रशिक्षित कार्यकर्ता ही “हिन्दू जगे तो विश्व जगेगा” के भाव को पुष्ट बनाने में सक्षम होंगे.

उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र हमारी शाखाएं हैं. शाखाओं के माध्यम से संस्कार, अनुशासन, सेवा, समर्पण तथा राष्ट्रभक्ति का भाव जागृत होता है. नर से नारायण का निर्माण वास्तव में हमारी शाखा ही करती है. वर्ग में प्रशिक्षित कार्यकर्ता अपने-अपने कार्य क्षेत्र में जाकर शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण और समाज परिवर्तन के काम में लगें, यही उनसे अपेक्षा है.

उद्घाटन सत्र का आरम्भ भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ. संघ शिक्षा वर्ग 21 जून 2024 तक चलेगा. वर्ग में गोरक्ष प्रांत के संघ के 21 जिलों से लगभग 300 प्रशिक्षणार्थी सहभाग कर रहे हैं.

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