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आत्मनिर्भरता की कहानी – देश-विदेश में पहाड़ी उत्पादों को पहचान दिलवा रहीं लता

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उत्तरकाशी. पशुओं के लिए जंगल से घास-चारा लाना, घर का चूल्हा-चौका, और खेतों में काम का जिम्मा संभालने वाली पहाड़ की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में कमतर नहीं हैं. केवल, उनका मनोबल बढ़ाने की आवश्यकता है.

नगर पंचायत नौगांव के वार्ड नंबर छह की लता नौटियाल. लता नौटियाल की राह में कई बाधाएं सामने आईं, लेकिन दृढ़ निश्चय वाली लता के कदमों में सफलता खुद चली आई. लता नौटियाल स्वरोजगार अपनाकर परिश्रम के बल पर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनकर गांव में दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी हैं.

लता नौटियाल ने रवांई घाटी के स्थानीय उत्पादों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहचान दिलाई है. लता को गत 10 मार्च को दिल्ली में स्वर्ण भारत परिवार व महिला सशक्तिकरण कल्याण बोर्ड की ओर से मोस्ट इंस्पायरिंग वूमेंस ऑफ इंडिया नारी शक्ति सम्मान-2021 से सम्मानित किया गया है. लता को यह पुरस्कार समाज में महिलाओं के लिए किए महत्वपूर्ण कार्य और स्वरोजगार से जोड़ने लिए दिया गया.

लता नौटियाल ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. वर्ष 2009 में उनके पति ने सीमाद्वार देहरादून में रवाईं के उत्पादों को लेकर एक दुकान खोली, लेकिन वह भी सही ढंग से नहीं चली. 2011 में पति के साथ उन्होंने विभिन्न गांवों में जाकर स्थानीय उत्पादों में पहाड़ी दाल, मंडूवा, झंगोरा, अचार, अखरोट आदि को बाजार भाव के मूल्य पर खरीदा और उन्हें देहरादून की दुकानों में बेचना शुरू किया. जिससे उनकी बाजार में अच्छी पहचान बनने लगी.

पहाड़ी उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने स्टॉलों के माध्यम से देहरादून से लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली, मुंबई, उत्तरायणी मेला बरेली, गुजरात, इलाहाबाद सहित हिमाचल के विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाकर पहचान दिलाई. गांव में रूद्रेश्‍वर स्वयं सहायता का गठन किया. उसमें महिलाओं को जोड़ा. लता नौटियाल कहती हैं कि गांव में उत्पादों की पैकिंग करने, उनको तैयार करने आदि कार्य के लिए 15 महिलाओं को भी रोजगार दिया है. रवांई घाटी के 80 से अधिक उत्पाद उनके पास हर समय तैयार रहते हैं.

मंडूवा का आटा, झंगोरा, राजमा, रवाईं के लाल चावल, सिलबट्टे का नमक, बुरांश के जूस सहित अन्य उत्पाद ग्राहकों को बेहद लुभाते हैं. वह कहती हैं कि दिल्ली में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2019 में चार लाख रुपये के उत्पाद भी बिके हैं. कभी घर से भी निकलना बेहद मुश्किल था, लेकिन पति ने मनोबल बढ़ाया और प्रेरित किया. जिससे वे दोनों मिलकर आज लाखों रुपये का कारोबार कर रहे हैं.

हर्षिल, मोरी व चकराता की राजमा, मिक्स राजमा, सिलबट्टे का पीसा नमक, हाथ से बनी बड़ियां (उड़द, नाल), उड़द, पुरोला का लाल चावल, गहथ, तोर, सूठै (लोबिया), झंगोरा, काले भट्ट, सोयाबीन, जखिया, हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर, अखरोट, तिल आदि विभिन्न उत्पादों के साथ विभिन्न प्रकार की दाले व बुरांश, माल्टा, पुदीना, खुमानी आदि का जूस आदि बेच रही हैं..

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