नई दिल्ली/जम्मू। पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की हत्या के मामले में जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। अब केंद्र सरकार ने घटना की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया है। घटना की प्रारंभिक जांच में अनेक तथ्य सामने आए हैं, जिनसे प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा दिए गए बयानों की पुष्टि हुई है। संदिग्धों को हिरासत में लेकर लगातार पूछताछ की जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन की संयुक्त जांच टीम ने मृतकों के कपड़े देखकर पाया कि 20 मृतकों की पैंट नीचे खिसकी हुई थीं या फिर जिप खुली हुई थी। यह सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि आतंकियों ने पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा और फिर गोली मारकर हत्या कर दी।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि आतंकियों ने पीड़ितों से आधार कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र मांगे। फिर ‘कलमा’ पढ़ने को कहा और फिर उनकी पैंट उतारकर खतना की जांच की। यानि पहले हिन्दू होने की पुष्टि की, फिर नजदीक से किसी के सिर में तो किसी के सीने में गोली मारकर हत्या कर दी।
रिपोर्ट के अनुसार, टीम ने जांच में पाया कि 26 पीड़ितों में से 20 के निचले शरीर से कपड़े उतार दिए गए थे, उनकी पैंट की ज़िप खोल दी गई थी, पैंट नीचे खींची गई थी, जिससे उनके अंडरवियर या निजी अंग दिखाई दे रहे थे। पीड़ितों के परिजन सदमे में थे, जिस कारण उन्होंने शवों पर कपड़ों की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया; यहां तक कि कर्मचारियों ने भी शवों को वैसे ही उठाया, जैसे वे थे, बस उन्हें कफन से ढक दिया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, त्राल, पुलवामा, अनंतनाग और कुलगाम जैसे विभिन्न स्थानों से लगभग 70 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) और ज्ञात आतंकवाद समर्थकों से जम्मू कश्मीर पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो और अन्य एजेंसियों की संयुक्त टीम पूछताछ कर रही है। उम्मीद है कि जल्द ही असली अपराधियों तक पहुंच पाएंगे।