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सांस्कृतिक पहचान के प्रति भारतीयों की सजगता से भड़का पश्चिमी जगत – रश्मि सामंत

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उदयपुर. लेकसिटी में कला-साहित्य का दो दिवसीय उत्सव मेवाड़ टॉक फेस्ट प्रारंभ होने जा रहा है. टॉक फेस्ट में बतौर अतिथि भाग लेने के लिए एक दिन पहले पहुंचीं ऑक्सफोर्ड विवि की छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सामंत ने शुक्रवार को चित्तौड़गढ़ की महिलाओं के साथ एक समूह परिचर्चा में भाग लिया. “आई डोन्ट नेगोशिएट विद माय आईडेंटिटी” विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता थीं.

ऑक्सफोर्ड छात्रसंघ (एसयू) की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष निर्वाचित होकर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास बनाने वाली रश्मि सामंत ने परिचर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत के सामान्य शहर की एक छात्रा के रूप में उन्होंने विश्व के कथित सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखा था. प्रवेश के बाद उन्होंने पाया कि वहां अनेक प्रकार के मुद्दे हैं. वहां के विद्यार्थियों को संबोधित किया और इस क्रम में अप्रत्याशित रूप से छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में विजय प्राप्त की. उन्होंने कहा कि थोड़े समय बाद देखने को मिला कि उनके विरुद्ध एक विमर्श को हवा दी गई, जिससे स्पष्ट हो रहा था कि विद्यार्थियों का एक वर्ग नस्लवाद की संकुचित सोच से व्यवहार कर रहा था.

पश्चिम के विद्वान स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध कर शेष विश्व के लिए सामाजिक मूल्य के आधुनिक पैमाने गढ़ते हैं, लेकिन उनके व्यवहार में खोखलापन है. पश्चिम जगत अन्य को पिछड़ा, पुरातनपंथी, आउटडेटेड, सहित विभिन्न टैग देकर मन-मस्तिष्क में हीन भावना थोप देता है. पश्चिमी जगत शिक्षा से लेकर व्यापार, संस्कृति, इतिहास, आध्यात्मिक मूल्यों पर समान रूप से आक्रमण करता है. दूसरी ओर वहां के लोग नीम, हल्दी जैसे आयुर्वेद घटकों पर अपना पेटेंट करवाने से भी नहीं चूकते. स्वयं हर्बल, जैविक का उपयोग कर हमें रासायनिक के लिए प्रेरित करते हैं. पूंजीवाद विश्व पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है. भले ही हम किसी राजनीतिक विचारधारा के न हों और ना ही किसी संगठन से जुड़े हैं, फिर भी हम उनके लिए समान रूप से लक्षित हैं. सामंत ने कहा कि पूंजीवादी स्वत्व के विरुद्ध हीनभाव पैदा कर हमारे ऊपर बाजारवाद के अनुकूल जीवन शैली थोपना चाहते हैं. वे मानव को सिर्फ उपभोक्ता के रूप में देखते हैं.

कार्यक्रम का संचालन पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राधा वैष्णव ने किया. छात्र संघ अध्यक्ष अदिती कंवर भाटी ने धन्यवाद ज्ञापित किया. परिचर्चा में डॉ. सुनील खटीक ने लेखिका का परिचय कराया.

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