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इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है, हमें भारत ही बोलना चाहिए – पुलक सागर जी महाराज

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उदयपुर. भगवान ऋषभदेव की पावन धरा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम से पूर्व आयोजित पथ संचलन में स्वयंसेवकों ने गणवेश में भाग लिया. नगर में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, समाज के प्रबुद्धजन, व मातृशक्ति ने जगह जगह पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया. संचलन में कुछ दूरी तक पूज्य राष्ट्रीय संत पुलक सागर जी गुरुदेव भी आगे-आगे चले. संसंचलन के पश्चात टाउन हॉल में पुलक सागर जी महाराज, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम जी ने शस्त्र पूजन किया.

उन्होंने कहा कि 100वें वर्ष में प्रवेश के साथ ही प्रत्येक मंडल, ग्राम स्तर तक शाखा कार्य को पहुंचाना है. शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण की गति को बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि छुआछूत की बीमारी को समाप्त कर प्रत्येक हिन्दू को गले लगाना होगा. साथ ही समाज में संयुक्त परिवार की व्यवस्था को बढ़ावा देना होगा.

समाज से आह्वान किया कि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुण्डा के 150वीं जन्म जयंती को संपूर्ण समाज एक साथ मिलकर मनाए. बिरसा मुंडा ने समाज जागरण के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि महापुरुष किसी एक समाज के नहीं होते, वे सभी के होते हैं. उन्होंने समाज में पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, समरसता एवं स्वदेशी का विषय ले जाने का आग्रह किया.

पूज्य संत पुलक सागर जी ने कहा कि भारत शक्तिशाली राष्ट्र बना है, जिसमें संघ की बड़ी भूमिका है. देश भक्ति, अनुशासन, चरित्र व सत्यनिष्ठा स्वयंसेवकों से सीखनी चाहिए. संघ किसी पार्टी, जाति या धर्म का विरोधी नही है. प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए राष्ट्र प्रथम है. देश के पतन का कारण संस्कृति, सभ्यता, भाषा, व संस्कार समाप्त होने से है. भारत को खतरा दुश्मनों से नहीं, भारत में रहने वाले षड्यंत्रकारी तत्वों से है. षड्यंत्रकारी शक्तियां हिन्दू समाज को बांटने का कुत्सित प्रयास कर रही हैं. स्वयंसेवक इनकी मंशा को सफल नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है, इसलिए हमें भारत ही बोलना चाहिए. भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, हम सब भारत हैं. मैं संचलन में चला तो ऐसा लगा पूरा देश मेरे साथ चल रहा है.

कार्यक्रम में प्रबुद्धजन, मातृशक्ति भी बड़ी संख्या में उपस्थित रही.

 

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