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कोरोना कालखंड में विश्व ने आयुष की ताकत को जाना व समझा

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लखनऊ. एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए आवश्यक है कि हम प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए कदम बढ़ाएं. एक स्वस्थ शरीर ही धर्म के सभी साधनों को पूरा कर सकता है. धर्म के सभी साधन एक स्वस्थ शरीर में ही निहित होते हैं. उत्तम आरोग्यता को प्राप्त करना प्रत्येक भारतीय की दिनचर्या का हिस्सा रहा है. समय से जागने, सोने या भोजन की आदत हो या अपने जीवन के प्रत्येक संस्कार से जुड़ा कोई भी कार्यक्रम हो, हर भारतीय परिवार खुद को उससे जोड़ता रहा है. सही मायनों में, स्वस्थ समाज से ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आरोग्य भारती के अखिल भारतीय प्रतिनिधिमंडल की वार्षिक बैठक का शुभारंभ अवसर पर संबोधित किया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी कार्यक्रम में वर्चुअली उपस्थित रहे.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, आरोग्य भारती अखिल भारतीय स्तर पर संपूर्ण आरोग्यता को प्राप्त करने के लिए 20 वर्षों से काम कर रही है. सदी की सबसे बड़ी महामारी के दौरान आरोग्य भारती के स्वयंसेवकों और कार्यकर्ताओं की कार्यपद्धति को हम सबने अनुभव किया. बिना किसी भेदभाव के समाज के प्रत्येक वर्ग को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का सराहनीय काम किया. कोरोना में भारत का परिणाम किसी भी अन्य देश की तुलना में बेहतर रहा तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही रहा कि सरकार की मशीनरी के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. आरोग्यता के प्रति सरकार नए-नए प्रयास कर रही है. ऐसे प्रयासों का आरोग्य भारती जैसे संगठनों को नेतृत्व करना चाहिए. मुझे विश्वास है कि बैठक में इन सारी चीजों पर मंथन होगा और दैनिक जीवन के क्रियाकलापों का आरोग्यता से क्या संबंध हो सकता है, इस विषय पर शोध किया जाएगा. मेरा मानना है कि आधे रोग तो सतर्कता से दूर किए जा सकते हैं. शेष बीमारियों को दूर करने के लिए थोड़े अलग और नए प्रयास करने होंगे.

कोई भारतीय परिवार ऐसा नहीं होगा जो अपने दैनिक भोजन में हल्दी का सेवन न करता हो. हल्दी की ताकत और उसके सामर्थ्य को पूरी दुनिया ने कोरोना कालखंड में अनुभव किया. हल्दी हजारों वर्षों से हमारी दैनिक दिनचर्या का अहम हिस्सा रही है. आयुष की ताकत को भले ही दुनिया ने कोरोना कालखंड में समझा हो, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री ने आयुष से जुड़े सभी विभागों को जोड़कर देश को एक नया मंत्रालय देने का काम किया. ये चीजें बताती हैं कि ताकत हमारे पास पहले से थी, लेकिन हमने कभी उन्हें महत्वपूर्ण नहीं समझा. योग के साथ भी ऐसा ही हुआ. 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त हुई तो भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के करीब 175 देश योग से जुड़ने लालायित दिखाई दिए. योग के प्रति पूरी दुनिया में जो भाव है वो भारत के समृद्ध आरोग्यता के प्रति भाव को दर्शाता है.

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