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जग नहीं सुनता कभी दुर्बल जनों का शांति प्रवचन – रामलाल जी

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उठो जागो और राष्ट्र निर्माण में लगो – भवानीनंदन यति जी

गाजीपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी ने बोरसिया स्थित सत्यदेव डिग्री कॉलेज में काशी प्रान्त के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में कहा कि जग नहीं सुनता कभी दुर्बल जनों का शांति प्रवचन, सिर झुकाता है उन्हें जो कर सके रिपु मान मर्दन। दुनिया ताकत की सुनती है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज को संगठित कर भारत को ताकतवर बनाने का कार्य कर रहा है। हमारी सेना ने आतंकी कैम्प को नष्ट कर भारत की विश्व में धाक जमाई है।

श्रीगुरु जी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषा हैं। भाषा, प्रान्त, जाति के झगड़े शाखा से समाप्त होंगे। संघ में छुआछूत, अगड़ा-पिछड़ा कुछ नहीं है। यहाँ सब एक साथ भोजन करते और कराते हैं। यहाँ कोई किसी की जाति नहीं पूछता। नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग- द्वितीय (तृतीय वर्ष) लगता है। यहाँ देशभर के अलग-अलग प्रान्तों से स्वयंसेवक एवं शिक्षक आते हैं। संघ का उद्देश्य है सामूहिकता। स्वयंसेवक बिना स्वार्थ के सेवा करते हैं। कोरोन काल में जब समाज पर संकट आया तो पाँच लाख स्वयंसेवक सहायता में लगे। किसी ने कोई जाति, धर्म, पंथ नहीं पूछा। केरल में बाढ़ में सहायता करने के दौरान लोगों को बचाते हुए अपने चार स्वयंसेवकों की जान चली गई।

रामलाल जी ने कहा कि लोग संघ के विरोधी हो सकते हैं, संघ किसी का विरोधी नहीं है। श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा में मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने सभी को आमंत्रित किया। कुछ लोग अपने स्वार्थवश हिन्दू संगठनों को कम्युनल कहते हैं। पर, हम वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते है। संपूर्ण विश्व को परिवार मानते हैं। यह हिन्दू राष्ट्र है, बनाने की जरूरत नहीं। इसके मूल में ही हिन्दू विराजमान है। उन्होंने संघ के पंच परिवर्तन कुटुंब प्रबोधन, समरसता, पर्यावरण, स्वदेशी और नागरिक कर्तव्य की भी बात की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भवानीनन्दन यति जी ने कहा कि प्रचारक रूपी संतों ने अपना जीवन भारत माँ को समर्पित किया है। उठो जागो और राष्ट्र निर्माण में लगो, इसलिए ही मेरा जन्म हुआ है। जीवन सार्थक तब तक नहीं होता, जब तक ध्येय की पूर्ति न हो। उदाहरण देते हुए कहा कि गोमुख से निकलने वाली गंगा गंगासागर न पहुँच जाए, तब तक सार्थक नहीं होता। मेरा मन यह देख कर कह रहा है कि राम का राष्ट्र प्रेम वापस आने वाला है, भारत बदल रहा है।

अतिथियों के उद्बोधन पूर्व वर्ग में प्रशिक्षण ले चुके स्वयंसेवकों का दण्ड, नियुद्ध, पदविन्यास, सामूहिक समता, व्यायाम योग, आसन इत्यादि शारीरिक प्रधान कार्यक्रम हुए। मंचस्थ अधिकारियों का परिचय नागेंद्र जी ने कराया। मंच पर पूज्यपाद भवानीनन्दन यति जी, रामलाल जी अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख, मालकियत सिंह बाजवा जी सर्वाधिकारी, अंगराज जी प्रान्त संघचालक, जयप्रकाश जी जिला संघचालक उपस्थित रहे।

वर्ग कार्यवाह दीपनारायण जी ने वर्ग प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि काशी प्रांत के 27 जिलों से 270 शिक्षार्थी आए। सभी ने अपना शुल्क, मार्ग व्यय एवं गणवेश स्वयं अपने खर्च से पूरा किया।

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