नागपुर, 05 अक्तूबर. राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका वी. शांताकुमारी जी ने कहा कि महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार और अमानवीय अपराधों की घटनाएँ बढ़ रही हैं, उसके लिए व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर काम करना होगा. उन्होंने कड़े कानून और त्वरित निर्णय की प्रक्रिया के साथ ही समाज जागरण की आवश्यकता पर भी बल दिया. हमारे देश को अस्थिर करने और युवाओं को गुमराह करने की ताकतों से सावधान रहने और अंधानुकरण से दूर रहने की अपील की. उन्होंने कहा कि वैचारिक संभ्रम के कारण मूल तत्वज्ञान को भूलकर “हिन्दवः सोदराः सर्वे” कहने वाला आज जाति, बिरादरी, मत, पंथ के बंधन में फंसकर अपने विराट स्वरूप को काटने में लगा है. इसलिये मूल हिन्दू चिंतन का विचार, कृति में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
प्रमुख संचालिका जी रेशीमबाग स्थित स्मृति मन्दिर परिसर में आयोजित राष्ट्र सेविका समिति के विजयादशमी उत्सव में संबोधित कर रही थीं. मंच पर सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंह, प्रमुख कार्यवाहिका अन्नदानम् सीता और विदर्भ प्रान्त कार्यवाहिका मनीषा आठवले उपस्थित थीं.
पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना को अमानवीय करार देते हुए प्रमुख संचालिका ने कहा कि महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद बर्बरतापूर्वक हो रही घटनाओं से मस्तक शर्म से झुक जाता है और क्रोध भी आता है. जागरुक समाज के कारण इस प्रकरण में अपराधी को बंदी बनाना पड़ा. ऐसी घटनाओं में शीघ्रगति से कार्रवाई हो, इसलिए कानून में परिवर्तन लाना आवश्यक है. आपराधिक घटनाओं में ३० वर्षों के बाद भी अपराधी को सजा न होने से उसकी अपराधवृत्ति बढ़ती है. कानून व्यवस्था के साथ ही हमें अपनी आत्मसुरक्षा के लिए स्वयं ही सशक्त बनना होगा. आत्मसुरक्षा के तंत्र सिखाने की व्यवस्था खड़ी करनी पड़ेगी.
स्वदेशी, कुटुम्ब प्रबोधन, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए अत्याचार, नवरात्रि जागरण, पर्यावरण आदि विषयों का भी अपने भाषण में उल्लेख किया. नवरात्रि जागरण का सन्दर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि बुद्धि और युक्ति के आधार पर अशिन विराथु ने म्यांमार की रक्षा की. आज ऐसे धार्मिक योद्धा की आवश्यकता है. विराथु एक बौद्ध भिक्षु थे.
अपने अंदर की शक्ति को पहचानें – सोनल मानसिंह
कार्यक्रम अध्यक्ष सोनल मानसिंह ने कहा कि लोपामुद्रा, कपाला, गार्गी, कात्यायनी जैसी प्राचीन काल की महिलाओं से लेकर आज मंगल अभियान को सफल बनाने वाली भारतीय महिलाएं अतुलनीय हैं. भारत के अलावा कहीं भी महिला की तुलना देवी से नहीं की जाती. यही भारतवर्ष की ताकत है और ये पहचान युगों-युगों के अनुभव से बनी है. किन्तु आज उनका सफर आसान नहीं है. इसे आसान बनाने के लिए हर महिला को मजबूत होना होगा और इसके लिए अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है.