करंट टॉपिक्स

जनजाति समाज से समरस हुए बिना यह महाकुम्भ पूरा नहीं होगा – स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज

Spread the love

महाकुम्भ नगर, प्रयागराज (06 फरवरी, 2025). जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि जैसे आप सभी जनजाति बंधु अपनी रूढी, परंपरा, संस्कृति लेकर सहजभाव से महाकुम्भ में आए हैं, वैसी ही निर्मलता और सादगीपूर्ण वन जीवन का अनुभव करने हेतु सभी संतों को बार-बार वनांचल में जाना होगा, क्योंकि जनजाति समाज से समरसता के बिना सनातन संस्कृति का यह महाकुम्भ पूरा नहीं होगा।

प्रयागराज महाकुम्भ में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित जनजाति युवा कुम्भ में अपने आशीर्वचन में स्वामी अवधेशानंद जी ने कहा कि हम सभी संत और जो अरण्यक संस्कृति के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझते हैं, उन्हें बार-बार वनांचल में जाकर सबके साथ घुल मिलकर, संवाद के साथ साथ भोजन करना होगा। क्योंकि हम एक ही सनातन परंपरा के अभिन्न घटक हैं।

इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी रघुनाथ बप्पाजी महाराज (फरशीसनवाले बाबा), केंद्रीय जनजाति कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास जी ऊईके, कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह जी, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष हर्ष चौहान, पद्मश्री चैतराम जी पवार आदि मान्यवर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में उपस्थित मान्यवरों का परिचय और स्वागत किया गया।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष हर्ष चौहान जी ने इस कुम्भ का महत्व और वनवासी समाज की अस्मिता, अस्तित्व को लेकर चल रहे प्रयास के बारे में बताया। सनातन संस्कृति का प्रतीक यह महाकुम्भ वास्तव में अरण्यक संस्कृति के चैतन्य का मूल स्वरूप है। जिसको इस कुम्भ में अनुभवित किया जा सकता है।

महामंडलेश्वर रघुनाथ बाप्पाजी (फरशीवाले) ने कहा कि जनजातीय समाज सभी दृष्टि से सनातन का ही हिस्सा है और इसे ना कोई अलग कर सकता है और ना कोई उससे लंबे समय तक दूर जा सकता है। हमारा निसर्ग के साथ रहना यानि अपने जीवन में फल, फूल, नैसर्गिक संसाधन को साथ लेकर चलना, यह अनुभूति का विषय है जो इस कुम्भ में हम देख सकते हैं।

भारत सरकार में जनजाति कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास ऊईके जी ने कहा कि पर्दे के पीछे से कार्यरत असामाजिक शक्तियां जनजाति समाज को बहला फुसलाकर सभी मायने में बदलने का प्रयास कर रही हैं। इसके खिलाफ आप जैसे युवाओं को पहल करनी चाहिए। उनके शस्त्र से उनका मुकाबला करना चाहिए क्योंकि इतिहास गवाह है, जब-जब युवाओं ने संघर्ष की बागडोर संभाली है तो परिवर्तन हुआ है। इसलिए परिवर्तनशील युवा वनांचल में भी परिवर्तन करेगा, यह संदेश यहां से आप लेकर जाएं।

वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह जी ने कहा कि हम अपने समाज के बारे में जो जानते हैं, मानते हैं वह विभिन्न माध्यम से प्रस्तुत होना आवश्यक है। उसके अनुसार अपनी प्रतिमा बनाकर, अध्ययनरत, संघर्षशीलता के साथ अपने समाज का नेतृत्व करने की क्षमता प्राप्त करने का आह्वान उपस्थित युवाओं को किया।

समाजसेवी हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित चैतराम पवार जी का विशेष सम्मान स्वामी अवधेशानंद जी ने किया। साथ ही जनजाति क्षेत्र में निपुणता के साथ युवा कार्य करने वाले लोगों का सम्मान मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सूत्र संचालन विदर्भ प्रांत के फिरोज उईके जी ने किया। कार्यक्रम में भजन प्रस्तुति के साथ साथ तेलंगाना और अरुणाचल के कार्यकर्ताओं द्वारा नृत्य एवं संगीत की प्रस्तुति भी हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *