चित्रकूट.
दीनदयाल शोध संस्थान एवं चित्रकूट क्षेत्र की जनता के सहयोग से भारत रत्न नानाजी देशमुख के जन्मदिवस शरद पूर्णिमा के अवसर पर पारम्परिक एवं समकालीन कलाओं पर केन्द्रित त्रिदिवसीय शरदोत्सव का प्रारंभ हुआ. 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक शरदोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. प्रथम दिवस का शुभारम्भ कामदगिरि मुखारविंद के महंत श्री मदन दास जी महाराज, जानकी महल आश्रम के महंत श्री सीता शरण जी, सती अनसुइया आश्रम के महंत श्री पवन बाबा, दिगंबर अखाड़ा के महंत श्री दिव्य जीवन दास जी एवं रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति डॉ. एके सिंह, अटारी जबलपुर के निदेशक डॉ. एसआरके सिंह, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो कपिल देव मिश्र, महात्मा गाँधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. भरत मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पा अर्पण के साथ विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर किया.
प्रथम दिवस की सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ रवि सिंह एवं राजाराम पाण्डेय की प्रस्तुतियों से हुआ. सीताराम, अनुपम माधुरी के भजनों से हुई. उसके बाद अम्रता देवी एवं नम्रता देवी की जोड़ी ने हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की प्रस्तुती ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. फिर स्नेहा पाण्डेय व खुशी पाण्डेय के भजन, सारेगामाप की प्रतिभागी मानसी पाण्डेय की प्रस्तुति हुई. कलाकारों ने देर रात्रि तक एक के बाद एक भजनों से नाना जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
भारत रत्न नानाजी देशमुख जब तीन दशक पूर्व चित्रकूट आए थे, तब पानी इस क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक था. उस समय नानाजी ने गांव के लोगों के पुरुषार्थ और श्रम साधना से ही जल संरक्षण की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य करके दिखाए थे.
शरद पूर्णिमा पर उनके 107वें जन्मदिवस पर शरदोत्सव कार्यक्रम के मंच से अतिथियों ने बुंदेलखंड के हमीरपुर में 70 एकड़ में प्रस्तावित दुनिया के पहले जल विश्वविद्यालय के लिए अवधारणा पत्रक का विमोचन कर श्रद्धांजलि अर्पित की. शरदोत्सव के ही मंच पर सुरेंद्रपाल ग्रामोदय विद्यालय के पूर्व छात्र सुभद्र देव सिंह द्वारा रचित पुस्तक ‘स्वातंत्र्य सरोवर के पद्म’ का विमोचन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया.
अभय महाजन ने कहा कि लोक संस्कृति, लोक कलाओं और अन्य लोक विधाओं को सुरक्षित रखा जा सके इसी उद्देश्य से शरदोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस प्रयास में चित्रकूट क्षेत्र की जनता के सहयोग से दीनदयाल शोध संस्थान का यह आयोजन पारम्परिक सांस्कृतिक कलाओं को मंच प्रदान कर सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का माध्यम है.
दीनदयाल परिसर में सुरेंद्रपाल ग्रामोदय विद्यालय के विवेकानंद सभागार में प्रतिदिन शाम 7:00 बजे से आयोजित जा रहा है. कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ रामनारायण त्रिपाठी संचालक गायत्री शक्तिपीठ चित्रकूट ने किया.