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मानहानि मामले में टीएमसी सांसद साकेत गोखले को देना होगा 50 लाख रुपये हर्जाना

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पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिया आदेश

नई दिल्ली. उच्च न्यायालय ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मीपुरी द्वारा दायर मानहानि मामले में तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद साकेत गोखले को पूर्व राजनयिक को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया.

न्यायाधीश अनूप जयराम भंभानी ने आदेश पारित करते हुए गोखले को टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार और अपने एक्स हैंडल पर माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश भी दिया. न्यायालय ने कहा कि आदेश का पालन आठ सप्ताह के भीतर किया जाना चाहिए.

लक्ष्मीपुरी केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पत्नी हैं. उन्होंने साकेत गोखले पर मुकदमा दायर किया था, क्योंकि गोखले ने उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने स्विट्जरलैंड में अपनी आय से अधिक संपत्ति खरीदी है.

जुलाई 2021 में, न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था और गोखले को कथित रूप से अपमानजनक ट्वीट हटाने का निर्देश दिया था. उन्हें पुरी के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने से भी रोक दिया था.

लक्ष्मी पुरी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि गोखले के ट्वीट अपमानजनक, दुर्भावनापूर्ण और गलत सूचना पर आधारित थे. उन्होंने तर्क दिया था कि गोखले ने झूठा दावा किया है कि उनकी आय केवल 10-12 लाख रुपये हो सकती है, क्योंकि वह भारत सरकार से व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) में प्रतिनियुक्ति पर थीं.

विस्तृत आदेश में, न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि गोखले के आरोप “गलत, झूठे और असत्य” हैं. सोशल-मीडिया पर संदेश “सोशल-मीडिया चेन रिएक्शन उत्पन्न करते हैं, जो आज के परिवेश में नियंत्रण से बाहर हो चुके परमाणु रिएक्शन से कम खतरनाक नहीं है”.

न्यायालय ने कहा कि साकेत गोखले ने दूर-दराज के और पुराने मुद्दे को इसलिए नहीं उठाया क्योंकि उन्हें लक्ष्मी पुरी के वित्तीय मामलों में दिलचस्पी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें उनके पति हरदीप पुरी की दिलचस्पी थी, जो अब केंद्र सरकार में मंत्री पद पर हैं.

न्यायालय ने कहा – “आपत्तिजनक ट्वीट के माध्यम से, उन्होंने [साकेत गोखले] यह आरोप लगाया और इशारा किया कि वादी [लक्ष्मी पुरी] और उनके पति [हरदीप पुरी] ने अवैध धन से अपार्टमेंट हासिल किया है”.

“किसी भी सार्वजनिक पद पर बने रहने के लिए वित्तीय ईमानदारी और सत्यनिष्ठा अनिवार्य है. बहुत कम आरोप किसी सार्वजनिक पद से जुड़े व्यक्ति को वित्तीय अनियमितता के आरोप से अधिक चोट पहुंचा सकते हैं. ऐसे मामलों से संबंधित गलत सूचना को दूर करना भी लगभग असंभव है, जब इसे बड़े पैमाने पर जनता तक फैला दिया जाता है.”

न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि गोखले के ट्वीट अपमानजनक हैं और लक्ष्मी पुरी की “प्रतिष्ठा को अनावश्यक कानूनी क्षति पहुंचाई है, जिसके लिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए”.

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