(26 फरवरी)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि आज की व्यस्ततम जीवनशैली में संबंधियों के बीच सु-संवाद में कमी हो गयी है, जिससे संपूर्ण सजीव सृष्टि में पर्यावरण की समस्या बढ़ रही है. हमारे देश के सर्वांगीण विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का सम्यक विकास होना आवश्यक है. इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संघ के कार्यकर्ताओं को कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, ग्राम विकास जैसे कार्यों पर विशेष बल देना चाहिए.
सरसंघचालक जी कोंकण प्रांत संघचालक प्रशिक्षण कार्यशाला में संबोधित कर रहे थे. दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के पहले दिन शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने मार्गदर्शन किया. क्षेत्र के संघचालक जयंती भाई भाडेसिया, प्रांत संघचालक सतीश मोंड, सह प्रांत संघचालक अर्जुन तथा बाबा चांदेकर आदि उपस्थित थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोंकण प्रांत के संघचालकों का कुडाल के सरसोली धाम में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें लगभग १५० कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
सरसंघचालक जी ने कहा कि समाज में एकाकीपन बढ़ रहा है. जिससे संबंधियों के बीच संवाद में लगातार गिरावट हो रही है. इस स्थिति को बदलना आवश्यक है. इसलिए संघ ने कुटुंब प्रबोधन की गतिविधि शुरू की है. प्रत्येक गांव के सम्यक विकास से उस गांव में रहने वाले युवकों को वहीं व्यवसाय, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक है. पर्यावरण की समस्या मानव निर्मित है. जिससे संपूर्ण सृष्टि पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. हिंदुत्व की वैश्विक अवधारणा में चराचर पर विचार होता है. संघ के कार्यकर्ताओं का इस विषय में मार्गदर्शन करने का उत्तरदायित्व संघचालकों पर है.
उन्होंने कहा कि वर्ष २०२५, संघ की स्थापना के शताब्दी का वर्ष होगा. संघ की शाखाएँ देश भर में सर्वत्र लग रही हैं. इसमें बड़ी संख्या में संघ के कार्यकर्ता सक्रिय हैं. उपरोक्त कार्यों के विषय में उनको जागरुक किये जाने की आवश्यकता है और मंडल तथा बस्तियों तक इस ध्येय को पहुंचाने की आवश्यकता है.