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ज्ञान महाकुम्भ में कल ‘एक राष्ट्र, एक नाम : भारत’ विषय पर होगा मंथन

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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि प्राचीन काल से अपने देश का नाम ‘भारत’ है। वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत सहित सभी प्राचीन ग्रंथों में हमारे देश का नाम ‘भारत’ वर्णित है। भारत शब्द से गौरव और गरिमा की अनुभूति होती है। लेकिन संविधान निर्माण के समय अनेक सदस्यों के विरोध के बावजूद संविधान में भारत नाम से पहले ‘इंडिया’ नाम जोड़ दिया गया। इंडिया नाम भारत में अंग्रेजों के साथ आया और उनके द्वारा ही प्रचलित किया गया। यह हमारी औपनिवेशिक दासता का प्रतीक है। इंडिया शब्द से भारतवासियों के लिए इंडियन शब्द बना, शब्दकोश में ‘इण्डिया’ शब्द का कोई वास्तविक अर्थ प्राप्त नहीं होता है और जो अर्थ मिलता है, वह अपमानजनक ही है।

भारत में भारतीयता को पुन:स्थापित करने के उद्देश्य से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ज्ञान महाकुम्भ के अन्तर्गत एक राष्ट्र, एक नाम : भारत विषय पर 1 फरवरी, 2025 को राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। भारत सरकार के सभी कार्यों में देश का नाम इंडिया नहीं, भारत ही प्रयोग किया जाए, इस हेतु राष्ट्रपति जी को पत्र एवं इस मुहिम के लिए वृहद स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान में प्रतिकूल वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के असंतुलन जैसी पर्यावरण संबंधी समस्याएं मानवता के समक्ष गंभीर चुनौती प्रस्तुत कर रही हैं। औद्योगीकरण, शहरीकरण और उपभोक्तावाद ने वनों की कटाई, कार्बन उत्सर्जन और भूमि, जल व वायु प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इसके दुष्प्रभाव हमारे गांवों, कस्बों और शहरों में भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। यह विकट स्थिति मुख्यतः प्रकृति के प्रति हमारे लालचपूर्ण दृष्टिकोण के कारण उत्पन्न हुई है।

समकालीन वैश्विक पर्यावरणीय, पारिस्थितिकीय तथा जलवायु संबंधित समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति, विचार, व्यवहार व जीवन शैली में है। भारत का “हरित” पर्यावरण दृष्टिकोण पंचमहाभूतों की शाश्वतता, सम्यकता तथा परस्पर संतुलनता को स्थापित करता है। ज्ञान महाकुम्भ श्रृंखला के तहत, 5-6 फरवरी, 2025 को हरित महाकुम्भ समावेशी संवाद भारतीय पर्यावरण दृष्टिकोण को अधिक पुष्टता प्रदान करने तथा पर्यावरण संवर्द्धन, संरक्षण की मूल परंपराओं, जीवन शैली को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सोपान है। हरित महाकुम्भ का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव करेंगे तथा समापन डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे जी करेंगे।

ज्ञान महाकुम्भ के विषय में बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने 10 जनवरी से 10 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में पवित्र महाकुम्भ के समय ‘ज्ञान महाकुम्भ’ का आयोजन किया है। महाकुम्भ में उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों के शिक्षा मंत्री, 100 से अधिक कुलपति व निदेशक, 4000 से अधिक छात्र एवं सैकड़ों आचार्य, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा जगत की नियामक संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि भारतीयता के आलोक में देश की शिक्षा व्यवस्था पर चिंतन-मंथन कर भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर भारतीय शिक्षा व्यवस्था की पुनर्स्थापना का संकल्प करेंगे। आयोजन के मुख्य संरक्षक उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं अन्य संरक्षक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं। आयोजन राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एमडी व सीईओ आशीष चौहान, एआइसीटीई के अध्यक्ष प्रो टी.जी. सीताराम, महर्षि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, अमेरिका के अध्यक्ष डॉ. टोनी नाडर, यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो दीपक श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति व मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है।

ज्ञान महाकुम्भ के समन्वयक संजय स्वामी ने कहा कि भारतीय शिक्षा की राष्ट्रीय संकल्पना को दृष्टिगत रखते हुए अखिल भारतीय सम्मेलन में विशिष्ट त्रि-दिवसीय आयोजन 7-9 फ़रवरी में किया जाएगा। इसमें 7 फ़रवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी उ‌द्घाटन करेंगे। 07 फ़रवरी के दूसरे सत्र में शिक्षा के क्षेत्र में शासन प्रशासन की भूमिका पर चर्चा होगी। 08 फ़रवरी को शिक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहे संत महात्मा, उद्योगपति एवं निजी संस्थानों का समागम रहेगा। साथ ही शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं, युवाओं, शिक्षाविद आचार्यों के योगदान पर वृहद् चर्चा की जाएगी। ज्ञान महाकुम्भ के तीसरे दिवस 09 फ़रवरी को भारतीय ज्ञान परम्परा, आत्मनिर्भर भारत, भारतीय भाषाएँ को समेकित करते हुए गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। समापन समरोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी तथा बिहार के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान का सान्निध्य प्राप्त होगा।

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