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मूल सनातन संस्कृति की ओर लौट रहे जनजाति परिवार; पहले हो चुके थे मतांतरित

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रायपुर. विभिन्न जनजाति बाहुल्य स्थानों पर ईसाई मिशनरियों की अवैध गतिविधियों को लेकर अब जनजाति समाज का आक्रोश स्पष्ट नजर आ रहा है. इस आक्रोश का एक और उदाहरण छत्तीसगढ़ के उत्तरी एवं दक्षिणी हिस्से से सामने आया है.

यदि पहले हम बात करें…. प्रदेश के दक्षिणी हिस्से की, तो बस्तर क्षेत्र में जनजाति समाज में जन-जागरण नजर आ रहा है. बस्तर में बड़ी संख्या में जनजाति समाज के मतांतरित लोग ईसाई धर्म छोड़कर पुनः सनातन संस्कृति में लौट रहे हैं.

ईसाई मिशनरियों के झूठ, बहकावे और प्रलोभन का मायाजाल अब टूटने लगा है, जिसके बाद कई परिवारों ने अपने मूल धर्म में वापसी की है. अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों की बढ़ती गतिविधियों से अब समाज की नाराजगी भी खुलकर सामने आने लगी है.

बस्तर से सामने घटना के अनुसार जिले के डिलमिली गांव में ही 100 से अधिक जनजाति नागरिकों ने घर वापसी की है. इन लोगों की घर वापसी के विषय में मीडिया से बात करते हुए डिलमिली गांव के पंचायत प्रतिनिधियों सहित ग्राम के प्रमुखों ने बताया कि ईसाई बन चुके कई जनजाति परिवार अपनी मूल सनातन संस्कृति में लौटने के लिए ना सिर्फ उनसे संपर्क कर रहे हैं, बल्कि उन्हें धर्म परिवर्तन करने का अफसोस भी है. पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि ऐसे परिवारों की मूल धर्म में वापसी की प्रक्रिया जारी है, जिसका परिणाम है कि सिर्फ डिलमिली पंचायत में ही 100 से अधिक मतांतरित जनजातीय नागरिकों ने अपने मूल धर्म में वापसी की है.

 

जो परिवार ईसाइयत को त्याग कर पुनः हिन्दू बने हैं, उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनका स्वास्थ्य एवं सुविधाओं का प्रलोभन देकर मतांतरण किया गया था. उन्होंने अपनी इस गलती के किए अफसोस भी जताया है.

घर वापसी करने वाले एक जनजाति नागरिक ने बताया कि उसका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब होने के बाद उसने स्थानीय स्तर पर उपचार कराया, लेकिन उसे स्वास्थ्य लाभ नहीं मिला. इसके बाद क्षेत्र के ही कुछ मतांतरित लोगों सहित ईसाई मिशनरी से जुड़े लोगों ने ईसाई प्रार्थना स्थल में जाने की सलाह देते हुए कहा कि इससे स्वास्थ्य लाभ मिलेगा.

इसके बाद ईसाई प्रार्थना स्थली में जाकर प्रार्थना शुरू की और लगातार एक वर्ष तक जाता रहा, और इसी दौरान उसका मतांतरण भी करा दिया गया था. उस व्यक्ति ने बताया कि अंततः अस्पताल से ही उसका उपचार हुआ और उसके स्वास्थ्य में सुधार आया, जिसके बाद वर्तमान में वह पूरी तरह से स्वस्थ है. उक्त व्यक्ति ने भी ईसाई धर्म को छोड़कर पुनः सनातन संस्कृति में अपनी वापसी की है.

20 परिवारों के 102 सदस्यों ने ईसाई मत छोड़कर घर वापसी की है. इस दौरान स्थानीय जनजातीय पुरोहितों के माध्यम से इनका शुद्धिकरण किया गया. संबंधित गांव के नाईक, पाईक, माटी पुजारी एवं जनजाति पुरोहित द्वारा गंगाजल मिलाकर संबंधित परिवार के घर के समक्ष हवन आयोजित किए गए एवं उसके बाद प्रकृति एवं आराध्य देव की उपासना कर उनकी हिन्दू धर्म में वापसी कराई गई. जानकारी मिलने के बाद क्षेत्र के अन्य मतांतरित परिवार एवं कुटुंब के अन्य मतांतरित सदस्यों ने भी अपने मूल धर्म में लौटने की इच्छा जताई है.

बलरामपुर में अवैध मतांतरण के विरुद्ध जनजातीय समाज में आक्रोश

छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में जहां मतांतरित जनजाति हिन्दू संस्कृति में लौट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के उत्तरी जिले बलरामपुर में ईसाई मिशनरियों की अवैध गतिविधियां जारी हैं. बलरामपुर जिले में बुधवार देर रात्रि को जनजातीय संगठनों ने ईसाई मिशनरी से जुड़े सदस्यों के विरुद्ध अपना आक्रोश जाहिर किया है, जो अभी भी जारी है.

जिले के राजपुर क्षेत्र में एक ग्रामीण के निवास स्थल पर 30 से अधिक लोगों के मतांतरण कराने की तैयारी चल रही थी. इस दौरान हिन्दू संगठनों के लोगों ने पहुंचकर पादरी को रोका और पुलिस को सूचना दी. पुलिस पर पादरी सहित ईसाई मिशनरी से जुड़े अन्य लोगों के विरुद्ध कार्यवाई ना करने को लेकर स्थानीय ईसाई समूह ने दबाव बनाया, जिसके बाद पुलिस शांत हो गई. हालांकि, स्थानीय जनजाति समाज के नेतृत्व सहित अन्य ने अगले दिन चक्काजाम किया और अंततः पुलिस को पादरी सहित 4 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करनी पड़ी.

इसके अलावा यह भी जानकारी सामने आई है कि पादरी के समर्थन में पहुँचे ईसाई समूह के लोगों ने मंदिर प्रांगण को भी गंदा किया है, जिसे लेकर दोनों पक्षों में छोटी झड़प भी देखने को मिली.

कुल मिलाकर स्पष्ट है कि ईसाई मिशनरियों की यह अवैध गतिविधियां अब सीमा को पार कर चुकी हैं, और जनजाति समाज इसे बर्दाश्त नहीं करने वाला है, यही कारण है कि अब छत्तीसगढ़ के उत्तर से लेकर दक्षिण तक इसके उदाहरण देखे जा रहे हैं.

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