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हमारे श्री रंगा हरि जी के दुःखद निधन ने हमसे एक गहन विचारक, कुशल कार्यकर्ता, व्यवहार के आदर्श, और सबसे बढ़कर एक स्नेही और उत्साहवर्धक वरिष्ठ को छीन लिया है. श्री रंगा हरि जी ने अपना जीवन पूर्ण एवं सार्थक ढंग से जीया. जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख थे, तब से उनके सानिध्य में आए लाखों कार्यकर्ता आज पूरे भारत में उनके निधन पर शोक मना रहे होंगे. अपने बीमारी के दिनों में, अपने अंतिम दिनों में उन्हें अपनी क्षीण होती शक्ति का पूरा एहसास था, लेकिन उन्होंने पढ़ने, लिखने और उनसे मिलने आने वाले स्वयंसेवकों को सुखद सलाह देने की अपनी गतिविधियों को बंद नहीं किया. अभी 11 अक्टूबर को ही पृथ्वी सूक्त पर उनकी टीका दिल्ली में प्रकाशित हुई. वाचाघात के बाद भी वह आगंतुकों को सुनते थे और अपने चेहरे के भावों से प्रतिक्रिया देते थे. मैं व्यक्तिगत रूप से, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से, उनकी प्रेरक स्मृति के प्रति अपनी आदरपूर्ण संवेदना व्यक्त करता हूं और दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिए प्रार्थना करता हूं.

ॐ शांतिः

डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक

दत्तात्रेय होसबाले, सरकार्यवाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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