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वीरांगना रानी दुर्गावती के 461वें बलिदान दिवस पर चित्रकूट व मझगवां में श्रद्धांजलि दी

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मझगवां. दीनदयाल शोध संस्थान ने सभी स्वाबलंबन केंद्रों पर वीरांगना रानी दुर्गावती के 461वें बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर चित्रकूट एवं मझगवां जनपद के सभी स्वावलंबन केन्द्रों पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए. बड़ा आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृष्णादेवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय मझगवां के महर्षि वाल्मीकि परिसर में हुआ.

बच्चों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने की दृष्टि से कृष्णा देवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय मझगवां में 20 जून से आयोजित बाल शिविर का समापन भी हुआ. बाल शिविर में 205 शिविरार्थी बच्चे सहभागी रहे. जिसमें 36 ग्राम पंचायतों की 58 ग्राम आबादियों (37 स्वावलंबन केंद्र) से 99 बालक एवं 106 बालिकाओं ने सम्मिलित होकर संगीत (गायन-वादन-नृत्य), डम्बल, चित्रकला, कम्प्यूटर, घोष आदि का प्रशिक्षण प्राप्त किया.

कार्यक्रम का शुभारंभ धारकुंडी महाराज श्री वीरेंद्र जी महाराज, श्री संजय बाबा, श्री रामखेलावन कोल सहित अन्य ने वीरांगना रानी दुर्गावती जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया. दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने भी पुष्पार्चन कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

शिविर पालक अधिकारी कालिका प्रसाद श्रीवास्तव ने शिविर के बारे में जानकारी दी. उसके बाद बच्चों ने सरस्वती वंदना व शारीरिक प्रदर्शनों से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. गीत की धुन पर योगचाप का प्रदर्शन तथा विद्या, आयु, प्रज्ञा, बल की बृद्धि के लिये सामूहिक सूर्य नमस्कार के साथ ताल से ताल, कदम से कदम, स्वर से स्वर मिलाकर सभी बच्चों ने डम्बल का प्रदर्शन किया.

वीरांगना दुर्गावती शोध समिति के अध्यक्ष रामराज सिंह ने कहा कि महापुरुषों की जन्म जयंती या बलिदान दिवस मनाने का उद्देश्य – उनके बारे में सुनने एवं जानने के साथ उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व को अपने जीवन में उतारने का दिवस होता है. हम अपनी भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करके ही रानी दुर्गावती जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं. शिविर में हम सबने जो सीखा है, उसे अपने जीवन में अपनाएं एवं अपने आसपास की ग्राम आबादी में सिखाएं व परिवार, समाज को उन्नत बनाएं. सामाजिक कार्यकर्ता चूड़ामणि सिंह ने कहा कि वीरांगनाओं एवं वीरों की यह धरा सदैव ही गौरवशाली रही है, उनका व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व ही समाज की सबसे बड़ी पूंजी है. कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र सिंह व धन्यवाद ज्ञापन गंगाराम यादव ने किया.

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