माओवादी आतंक देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसे निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है. इसी का परिणाम है कि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में हुई मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए, जो छत्तीसगढ़ राज्य में माओवादियों के विरुद्ध सबसे बड़ी सफलता है. इसके बाद एक साथ 18 नक्सलियों ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने आत्मसमर्पण किया.
मुठभेड़ को बीएसएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस की डीआरजी इकाई ने संयुक्त ऑपरेशन में अंजाम दिया, जिसकी अब सभी ओर सराहना हो रही है. एक तरफ जनसामान्य सफलता पर प्रसन्न हो रहा था, वहीं दूसरी ओर चुनावी मौसम में एक दल माओवादी आतंकियों को ‘शहीद’ बता रहा था. और सुरक्षा बलों की सफलता को दल के नेता ‘फर्जी’ बताने में लगे हुए थे.
अब एक कदम आगे बढ़ते हुए राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता और तेलंगाना सरकार में मंत्री अनुसुइया दनसारी उर्फ सीताक्का ने मारे गए माओवादी आतंकी शंकर राव के घर जाकर उसे श्रद्धांजलि अर्पित की.
मारा गया माओवादी आतंकी शंकर राव माओवादी आतंकी संगठन में उत्तर बस्तर डिवीजनल कमेटी का खूंखार माओवादी था, जिसके शव को मुठभेड़ के बाद बरामद किया गया.
आंध्रप्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन रेड्डी ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा – ‘तेलंगाना में कांग्रेस की मंत्री सीताक्का ने माओवादी सिरिपेल्ली सुधाकर उर्फ शंकरअन्ना के घर का दौरा किया, जिसकी कांकेर मुठभेड़ में मौत हुई थी. इस दौरान कांग्रेस की मंत्री ने श्रद्धांजलि भी दी.’ कांग्रेस के नेता नक्सलियों को शहीदों की तरह मानते हैं. मुझे आश्चर्य नहीं होगा यदि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद माओवादियों के नामों को गैलेंटरी अवार्ड के लिए नामित करेगी.
यदि आरोपों को दरकिनार कर दिया जाए तो भी एनकाउंटर में मारे गए माओवादी आतंकी के घर जाकर श्रद्धांजलि देना भारत की जनता के सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा करता है.
“एक 25 लाख रुपये का इनामी माओवादी आतंकी, जिसे अपनी जान पर खेलकर सुरक्षाकर्मियों ने ढेर किया, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा था, जिसने हमारे जवानों की हत्या करने की योजना बनाई और जो लंबे समय से देश के एक हिस्से में आतंक का पर्याय बना हुआ था, आखिर कैसे कोई मंत्री उसके घर जाकर उसे श्रद्धांजलि दे सकती है? यह केवल और केवल तभी संभव है, जब माओवादी आतंकियों के बीच कोई ऐसा संबंध हो, जिसे आज तक छिपाया गया है.”
पूर्व नक्सली होना या नक्सलवाद को छोड़कर मुख्यधारा में लौटना कहीं से बुरा नहीं है, ना ही इसमें कोई गलत है, लेकिन मुख्यधारा में लौटने के बाद भी यदि कोई माओवादी आतंकवादियों के लिए सहानुभूति रखता है, तो यह निश्चित है कि वो अभी भी अपने उस विचार से नहीं निकल पाया है.
Speaking on the encounter of 29 Naxalites in Chhattisgarh #Kanker,
National spokesperson of Congress Supriya Shrinate gives them "Shaheed" ka darza (martyrs)#LokSabhaElection2024 pic.twitter.com/hvN26THNE6— Stranger (@amarDgreat) April 17, 2024
https://www.newindianexpress.com/amp/story/states/telangana/2024/Apr/25/telangana-seethakka-mla-visit-home-of-maoist-killed-in-encounter