देहरादून, उत्तराखंड. राज्य सरकार 09 नवंबर से प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू कर सकती है. 09 नवंबर राज्य का स्थापना दिवस भी होता है. सरकार की ओर से यूसीसी को लागू करने को लेकर तैयारी कर ली गई है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए नियम तैयार करने वाले नौ सदस्यीय पैनल ने सोमवार को अपनी अंतिम बैठक के बाद कहा कि प्रक्रिया पूरी हो गई है और मसौदा छपने के लिए भेजा जा रहा है.
इसी साल फरवरी में पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गठित पैनल मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपेगा. इसके बाद उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा.
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड देश की स्वाधीनता के पश्चात कानून को लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पैनल के प्रमुख शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि कई दौर की बैठकों के बाद हम नियमों और विनियमों को अंतिम रूप देने में सफल रहे हैं. प्रिंटेड एडिशन मिल जाएगा, तो मुख्यमंत्री से मिल कर रिपोर्ट सौंप देंगे. हमने समय पर अपनी रिपोर्ट पूरी कर ली है.
राजधानी के बीजापुर गेस्ट हाउस में सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक हुई. बैठक में यूसीसी रिपोर्ट के फाइनल ड्राफ्ट पर चर्चा की गई. यूसीसी में हिमालयी राज्य में विवाह, तलाक, लिव-इन, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र या वसीयत के पंजीकरण से संबंधित महत्वपूर्ण बारीकियों पर चर्चा की गई.
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पैनल सदस्य मनु गौड़ ने बताया कि यूसीसी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि लोगों को पंजीकरण कार्य करवाने के लिए सरकारी कार्यालयों में जाने की आवश्यकता नहीं है. यह कुछ सरल क्लिक के साथ ऑनलाइन किया जा सकता है. एक वेब पोर्टल और एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया है, जो केंद्र सरकार के पोर्टलों के साथ एकीकृत है.
मनु गौड़ ने कहा कि जो लोग तकनीक के जानकार नहीं हैं, उनके लिए राज्य भर में 15,000 कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए पंजीकरण का विकल्प दिया है. लोगों को अपनी शादी पंजीकृत करवाने के लिए छह महीने का समय दिया गया है. यह प्रक्रिया सरल है.
जिन लोगों ने दूसरे राज्यों में अपनी शादी पंजीकृत करवाई है, उन्हें अपना पंजीकरण नंबर और अन्य विवरण अपलोड करना होगा. जो लोग अपनी शादी पंजीकृत नहीं करवाएंगे, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा.
अगर लोग खुद को रजिस्ट्रेशन करवा लेंगे, तो राज्य में जनगणना की कोई जरूरत नहीं होगी, क्योंकि हमारे पास वास्तविक समय का डेटा होगा. क्योंकि पोर्टल और मोबाइल ऐप केंद्रीय योजनाओं और वेबसाइटों से जुड़ा होगा. अब लोग ऐप के जरिए अपनी वसीयत बना और बदल सकते हैं.
रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपे जाने के बाद, इसे कानूनी विभाग को भेजा जाएगा, जो अंतिम पुष्टि के लिए इस पर विचार करेगा. फिर, उत्तराखंड कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य सरकार कानून को अधिसूचित करेगी. संबंधित कर्मचारियों के प्रशिक्षण के बाद, राज्य सरकार द्वारा तय की गई तारीख पर यूसीसी लागू होने की उम्मीद है.